Toranto Hindi News : टोरंटो। ब्रैन हैल्थ एंड वेलनेस के लिए कार्यरत कीमेल फैमिली सेंटर पर सैकड़ों ऐसे लोगों के घंटो रिसर्च द्वारा उनके सूंघने की आदत, सुनने की शक्ति और संज्ञान लेने की क्षमता को देखा जाएंगा ओर उसे सुधारने के लिए कार्य किया जाएंगा। डिमेंशिया एक ऐसी समस्या है जिसमें व्यक्ति की सोचने याद रखने और फैसला लेने की क्षमता कम होने लगती है। यह एक तरह की ब्रेन से जुड़ी समस्या है जो अक्सर वयस्कों और बुजुर्गों को प्रभावित करती है।
यह भी देखा जाएंगा कि डिमेंशिया के रोगियों को सुधारने के लिए वास्तव में कौन से कारक अधिक सहायक हो रहे हैं जिसे भविष्य में अपनाकर इनकी दर देश में कम की जा सके। इस संबंध में पत्रकारों को अधिक जानकारी देते हुए सेंटर के वरिष्ठ शोध कॉ-ओर्डीनेटर मालीहा चौधरी (Research Co-ordinator Maliha Chaudhary) ने बताया कि हम इस बीमारी से पीडि़त लोगों की भाव-भंगिमाओं को देखते हैं और यह निष्कर्ष निकालते है कि किस क्रिया से उन्हें बातें याद रखने में सहायता मिलती हैं।
ज्ञात हो कि डिमेंशिया केवल दिमाग संबंधी एक बीमारी नहीं बल्कि लक्षणों का एक समूह हैं, जिसमें पीडि़त को अपनी बातें ही कुछ समय बाद याद नहीं रहती, इसके लिए सबसे अधिक 50 वर्ष के आयु के बाद खतरा बढ़ जाता हैं।
आंकड़ों में यह भी बताया गया है कि जहां वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 1.7 मिलीयन तक पहुंच गया हैं, वहीं वर्ष 2050 तक कुल जनसंख्या का 3.6 प्रतिशत हो जाना सुनिश्चित कर रहा हैं। वहीं वर्ष 2020 में यह संख्या केवल 600,000 थी, जो गत वर्षों में दोगुनी रफ्तार से बढ़ी हैं। इसी कारण से शोधकत्र्ताओं ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि जल्द ही इस पर नियंत्रण के उपायों को अपनाया नहीं गया तो यह एक महामारी बनकर पूरे देश को अपने पकड़ में ले लेगी।
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इस शोध कार्य में गंभीर रुप से डिमेंशिया से पीडि़तों को भी रखा गया हैं जो केवल 4.5 घंटे में ही अपने पिछले सभी कार्यों को भूल जाते हैं। याददाश्त संबंधी इस बीमारी के लिए उपचार हेतु सबसे बड़ा कारण मनुष्यों का बिगड़ता लाईफस्टाईल हैं जिसमें सुधार सबसे बड़ा कारण साबित हो सकता हैं। जानकारों को इस संबंध में आरंभ किए इस कार्यक्रम में भारी सफलता मिलने की आशा हैं और उनका कहना है कि इससे न केवल आगामी दिनों में पीडि़तों को मदद मिलेगी अपितु जो भविष्य में इसकी चपेट में आ सकते हैं उन्हें भी सावधान रहने के लिए कार्य-योजनाएं तैयार की गई हैं।
बैलेंस बनाए रखने में परेशानी
ऐसे में लोग, जो डिमेंशिया से पीडि़त हैं, उन्हें सीधे रास्ते पर चलने या अपना संतुलन यानी बैलेंस बनाए रखने में परेशानी हो सकती है। इसकी वजह से उनके गिरने की संभावना भी बढ़ जाती है। अगर यह लक्षण किसी व्यक्ति, खासकर किसी बुजुर्ग में नजर आता है, तो उनका ध्यान रखें, क्योंकि उनको चोट लगने का खतरा ज्यादा हो जाता है।
चलते समय हाथों का हिलना एक आम प्रक्रिया है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति बिना हाथ हिलाए चल रहा है, तो इस बदलाव को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह डिमेंशिया का एक और सामान्य लक्षण है। अक्सर संतुलन बनाए रखने के लिए लोग अपने हाथों का पैरों के साथ तालमेल बिठाते हैं, लेकिन जब यह मूवमेंट नहीं होता है, तो डिमेंशिया से संबंधित मोटर कंट्रोल समस्याओं का संकेत हो सकता है।
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फिलहाल इस योजना को पिछले तीन वर्षों में 450 लोगों के शोध के माध्यम से पूरा करने का प्रयास किया गया हैं जिससे भविष्य में उन कार्यों को अपनाया जाएं जिससे ऐसे लोगों को अधिक से अधिक स्वास्थ्य लाभ मिल सके। डिमेंशिया के आम कुछ लक्षण हमारे रोजमर्रा के काम में नजर आते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज करते हैं। ऐसे ही कुछ लक्षण वॉकिंग यानी चलते समय भी दिखाई देते हैं, जिस पर बहुत कम लोगों का ही ध्यान जाता है।
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