विदेशी वर्कर्स को फिर से बुलाया जा सकता है, कैनेडा की जरूरत हैं विदेशी वर्कर : केनी
ओटवा, पूर्व इमिग्रेशन मंत्री और वर्तमान रोजगार मंत्री जेसन कैनी का कहना है कि कैनेडा सरकार जल्द ही अस्थाई तौर पर विदेशी वर्कर्स को कैनेडा में लाने के लिए कैनेडियन कंपनियों को छूट देगी। इस संबंध में सरकार कभी भी फैसले का ऐलान कर सकती है। कैनेडा में प्रोफेशनल वर्कर्स की कमी के चलते कैनेडियन कंपनियों का काम प्रभावित हो रहा है।
कई विवादों के बाद पिछले कैनेडा सरकार ने ये कार्यक्रम बंद कर दिया था। उस समय बीसी की एक माइनिंग कंपनी द्वारा 201 चीनी वर्कर्स को काम पर रखे जाने के बाद स्थानीय वर्कर्स ने महसूस किया कि शायद उन्हें काम से निकाल दिया जाएगा। वहीं रॉयल बैंक ऑफ कैनेडा में भी कुछ ऐसा ही विवाद सामने आया था।
दरअसल स्थानीय कर्मचारियों को लगता है कि अगर विदेशी कामगार ऐसे ही आते रहे तो उन्हें एक दिन नौकरी से बाहर कर दिया जाएगा। विदेशी अस्थाई कामगार स्थानीय पक्के कामगारों से कहीं सस्ते पड़ते हैं और ऐसे में कंपनियां उन्हें लेना पसंद करती हैं। अब सरकार एक बार फिर से इस कार्यक्रम को शुरू करने जा रही है।
जेसन केनी ने कहा कि लेबर बाजार से मिली कुछ राय के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विदेशी प्रोफेशनल्स की जरूरत है क्योंकि ये प्रोफेशनल कैनेडा में नहीं हैं और बाहर से अभी मंगवा नहीं सकते हैं। ऐसे में कुछ कंपनियों ने ऐसा काम ही बंद कर दिया है। इसलिए इस पाबंदी को हटाना जरूरी हो गया है।
कैनेडियन कंपनियां पहले ही मांग कर रही हैं
कई कैनेडियन कंपनियां पहले ही सरकार से इस बारे में मांग कर चुकी हैं कि उन्हें अपना काम चलाए रखने के लिए प्रोफेशनल्स को मंगवाने की अनुमति दी जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनका कामकाज प्रभावित होगा। वहीं कुछ क्षेत्रों में विदेशी वर्कर जरूरत से अधिक भी हो गए हैं। पश्चिमी कैनेडा में फास्ट फूड आउटलेट्स पर फूड सर्विस सुपरवाइजर्स की गिनती काफी बढ़ गई है और वहां पर उन्हें काम से बाहर भी रखा जा रहा है।
भविष्य में कैनेडियन कंपनियों को विदेशी वर्कर्स की जरूरत के बारे में पहले रोजगार ऑडिट भी करवाना होगा, जिसमें ये देखा जाएगा कि उन्हें असल में खास लोगों की जरूरत है। इसके बाद ही इस संबंध में अनुमति दी जाएगी। अगर जरूरत के अनुसार कैनेडियन प्रोफेशनल उपलब्ध हैं तो पहले उन्हें ही काम पर रखना होगा।
बेरोजगारी दर कम होने से भी राहत
कैनेडा में बेरोजगारी की दर सुधरी है और ये दो साल पहले के स्तरों पर आ गई है। ऐसे में अगर अब विदेशी वर्कर्स को लाया भी जाता है तो कोई अधिक विवाद भी शायद ही हो। आने वाले दिनों में आर्थिक हालात बेहतर होने पर वर्कर्स की मांग बढ़ेगी और बेरोजगारी की दर कम होगी।
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