नए वैश्विक दासता सूचकांक में पहले नंबर पर है भारत

टोरंटो, गुरुवार को जारी हुए पहले वैश्विक दासता सूचकांक के अनुसार करीब 1.4 करोड़ भारतीय आधुनिक जमाने की दासता जैसी स्थिति में जी रहे हैं। पूरी दुनिया में करीब तीन करोड़ लोग इस श्रेणी में हैं। वैश्विक दासता सूचकांक 2013 के तहत 162 देशों का सर्वेक्षण किया गया है।
ऑस्ट्रेलिया के एक मानवाधिकार संगठन वाक फ्री फाउंडेशन ने यह सर्वेक्षण किया। संगठन के अनुसार आधुनिक दासता की परिभाषा में ऋणग्रस्तता, जबरन विवाह, वेश्यावृत्ति में धकेला जाना और सेना में बचों का इस्तेमाल शामिल है।
संगठन का अनुमान है कि दुनिया में 29.8 करोड़ दास हैं जो आधुनिक दासता की गणना की अन्य कोशिशों से बहुत यादा है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार करीब 2.1 करोड़ लोग बंधुआ मजदूरी के शिकार हैं। मानवाधिकार संगठन का दावा है कि भारत में 1,39,56,010, चीन में 29,49,243, पाकिस्तान में 21,27,132 और नाइजीरिया में 7,01,032 लोग दासता की स्थिति में हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की खराब स्थिति के लिए देश के भीतर उसके नागरिकों के हालात जिम्मेदार हैं। यह भी कहा गया है कि भारत में रायवार दासता की स्थिति बहुत अलग-अलग है।

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