कराटे चैंपियन यामिनी ने कैनेडा में लहराया परचम, भारत में हुआ भव्य स्वागत
टोरंटो, कैनेडा में आयोजित सातवीं कॉमनवेल्थ कराटे चैंपियनशिप में अजमेर की यामिनी सिंह ने दो मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया। टीम काता में यामिनी ने सिल्वर और फाइट में ब्रोंज मेडल हासिल किया है। शुक्रवार को अजमेर लौटी यामिनी का विभिन्न खेल पदाधिकारी, कॉलेज छात्र-छात्राओं सहित शहरवासियों ने रेलवे स्टेशन पर भव्य स्वागत किया।
कैनेडा के मॉट्रियल में 11 से 13 अक्टूबर तक आयोजित इस चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली यामिनी सिंह जियालाल बीएड कॉलेज में अध्ययनरत हैं। यामिनी पूर्व में सीनियर वर्ग में चायना एशियाड में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। पिछले तीन वर्षों से वे लगातार राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में पदक जीत रहीं हैं।
बीस वर्षीय यामिनी 9 साल की आयु से कराटे में अपना लोहा मनवा रही हैं। जूनियर वर्ग में वे 11वीं एशियन कराटे चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। मलेशिया सहित कई अन्य देशों में पूर्व में आयोजित हुई कराटे चैंपियनशिप में यामिनी बेहतर प्रदर्शन कर चुकी हैं। वर्ष 2003 और 2011 में वे स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित समारोह में जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित हो चुकी हैं। अजमेर से यामिनी के साथ कान्वेंट स्कूल की निवेदिता सिंह ने भी कैनेडा में इस चैंपियनशिप में हिस्सा लिया।
भाई से सीखे कराटे की गुर
यामिनी ने इस उपलब्धि का श्रेय कोच मनोज व अपने भाई केशवसिंह को दिया है। केशव भी कराटे में ब्लैक बैल्ट हैं। यामिनी ने बताया कि भाई की वजह से ही उसे कराटे सीखने में रुचि हुई। शुरुआती दिनों में भाई ने सिखाया। फिर कोच मनोज से बारीकी से कराटे के गुर सीखे। यामिनी के पिता मानसिंह राजकीय महाविद्यालय चित्तौडगढ़ में पदस्थ हैं।
यामिनी ने बताया कि कैनेडा में आयोजित इस चैंपियनशिप में वे अजमेर जिला कराटे-डू एसोसिएशन के सहयोग से पहुंची। जिला प्रशासन की ओर से किसी तरह की कोई मदद नहीं दी गई। खेलों के प्रति प्रशासन के इस रवैये से खिलाडिय़ों का मनोबल टूटता है। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण कई खिलाड़ी बड़े शहरों व अन्य देशों में आयोजित प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से वंचित रह जाते हैं। यामिनी ने बताया कि अब उसका अगला निशाना एशियन गेम्स हैं।
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