भारतवंशी वैज्ञानिक ने पाया जीवन का जवाब

टोरंटो ,भारतीय मूल के एक अमरीकी वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उसे इस प्रश्न का उत्तर मिल गया है कि 3.8 अरब वर्ष से अधिक समय पहले धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ।
टेक्सास टेक युनिवर्सिटी में भूविज्ञान के प्रोफेसर और जीवाश्म विज्ञान संग्रहालय के क्यूरेटर, शंकर चटर्जी ने दावा किया है कि उल्काओं और धूमकेतुओं के टकराने से संभवत: ऐसे अवयव आए, जिन्होंने हमारी पृथ्वी पर जीवन योग्य वातावरण तैयार किया।
चटर्जी ने कहा है कि लगभग चार अरब वर्ष पहले पृथ्वी के निर्माण के प्रारंभिक वर्षो में पृथ्वी के सतह पर नियमित तौर पर भारी उल्काओं और धूमकेतुओं की वर्षा होती रही, जिसके चलते विशाल गड्ढे बन गए। इन गड्ढों में न केवल पानी जमा हुआ और जीवन के लिए बुनियादी रासायनिक अवयव निर्मित हुए, बल्कि इसने प्रथम सामान्य जीवों के निर्माण के लिए रसायनों को पकाकर सांद्र बनाने हेतु उपयुक्त क्रुसिबल (शीशे का एक तरह का बरतन) का काम भी किया।
ग्रीनलैंड, आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में पृथ्वी पर मौजूद प्राचीनतम जीवाश्म युक्त चट्टानों का परीक्षण करने के बाद चटर्जी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ये सब प्राचीन गड्ढों के अवशेष हो सकते हैं और वे स्थान भी, जहां जीवन का निर्माण गहरे, अंधेरे और गरम वातावरण में शुरू हुआ होगा।

चटर्जी ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में कहा है, कोई 4.5 अरब वर्ष पहले जब पृथ्वी का निर्माण हुआ, उस समय यह एक बंजर ग्रह था, जो जीवों के रहने अनुकूल नहीं था। चटर्जी ने दावा किया है कि सूर्य के साथ पृथ्वी की घनिष्ठता ने यहां जीवन अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराया।
उन्होंने कहा, भूवैज्ञानिक चरण ने गड्ढे की तलहटी में विशेष रूप से अंधकारमय, गरम और पृथक वातावरण उपलब्ध कराया, जहां जलतापीय निकास प्रणालियां मौजूद थीं और उसने जीवन के लिए इन्क्यूबेटर का काम किया।

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