जाने-माने साहित्यकार हरिकृष्ण देवसरे का निधन

नई दिल्ली , हिंदी के जाने माने साहित्यकार हरिकृष्ण देवसरे का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 75 साल के थे। उनके पुत्र शशिन देवसरे ने बताया कि उनके पिता लंबे समय से बीमार थे और उनका गाजियाबाद के इंदिरापुरम में एक अस्पताल में निधन हो गया।
मध्य प्रदेश के नागोद में नौ मार्च 1938 को पैदा हुए देवसरे का नाम हिंदी साहित्य के अग्रणी लेखकों में था और बचों के लिए रचित उनके साहित्य को विशेष रूप से पसंद किया गया। बचों के लिए लेखन के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 2011 में साहित्य अकादमी बाल साहित्य लाइफटाइम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
तीन सौ से यादा पुस्तकें लिख चुके देवसरे को बाल साहित्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के बाल साहित्य सम्मान, कीर्ति सम्मान :2001: और हिंदी अकादमी का साहित्यकार सम्मान :2004: सहित कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया।
कहा जाता है कि देवसरे देश के पहले वयक्ति थे जिन्होंने बाल साहित्य में डाक्टरेट की उपाधि हासिल की थी। अपने लेखन में प्रयोगधर्मिता के लिए मशहूर देवसरे ने आधुनिक संदर्भ में राजाओं और रानियों तथा परियों की कहानियों की प्रासंगिकता के सवाल पर बहस शुरू की थी।
साहित्य अकादमी के एक अधिकारी ने बताया कि हिंदी बाल साहित्य एक रचना संकलित करने में देवसरे की अहम भूमिका थी। इस संकलन को प्रकाशन के इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है।

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