कैनेडा के फंड के साथ रियल एस्टेट एनबीएफ बनाएगा पिरामल ग्रुप

टोरंटो,दुनिया के टॉप 10 रिटायरमेंट फंड्स में शामिल कैनेडा पेंशन प्लान (सीपीपी) भारत के अजय पिरामल ग्रुप के साथ मिलकर बड़ी रियल एस्टेट फाइनेंस कंपनी शुरू करने जा रहा है। योजना की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने बताया कि दोनों पार्टनर बराबर की पार्टनरशिप वाले इस वेंचर में 50 करोड़ डॉलर यानी 3 हजार एक सौ करोड़ रुपये से यादा निवेश करेंगे। कंपनी अगले साल से काम शुरू करेगी। फार्मा और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर्स में दखल रखने वाली पिरामल एंटरप्राइजेज इस नए वेंचर की कमान संभालेगी।
सितंबर 2013 में सीपीपी की नेट एसेट्स 193 अरब डॉलर थीं। 48 साल पुराना यह फंड कैनेडा के दो बड़े पब्लिक रिटायरमेंट इनकम इंस्टिट्यूशंस में शामिल है। इसकी 6 पर्सेंट से यादा संपत्ति एशिया (जापान को छोडक़र) में है।
पिरामल और सीपीपी के बीच प्रस्तावित डील के तहत एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी सामने आएगी, जो डेट फाइनेंस मुहैया कराएगी। एक रियल एस्टेट कंपनी के अधिकारी ने कहा कि विदेशी निवेशक या तो लीज रेंटल हासिल करने के लिए कमर्शल प्रॉपर्टी प्लेटफॉर्म में भागीदारी कर सकते हैं या इंटरेस्ट इनकम के लिए डेट फाइनेंस दे सकते हैं। यहां एचडीएफसी पीएमएस ने शेयर बाजार से ताल्लुक कम रखते हुए डेट का रास्ता पकडऩे का तरीका अपनाया था और यह रणनीति अछी रही।
2010 में एबॉट फार्मास्युटिकल्स को 3 अरब 70 करोड़ डॉलर में डोमेस्टिक फॉर्म्यूलेशन बिजनेस बेचने के बाद से पिरामल ग्रुप प्रॉपर्टी सेक्टर पर बुलिश रहा है। पिरामल एंटरप्राइजेज की रियल एस्टेट प्राइवेट इक्विटी इकाई इंडियारीट फंड एडवाइजर्स के पास पांच फंडों में 4 हजार 343 करोड़ रुपये हैं। ग्रुप एक हजार करोड़ रुपये का एक और फंड बनाने वाला है। इस ग्रुप की ओर से स्पॉन्सर्ड एक अन्य फाइनेंस कंपनी पीएचएल फाइनेंस ने प्रॉपर्टी और एजुकेशन सेक्टर्स में कंपनियों को फंड दिया है।
इसी साल एक इंटरव्यू में अजय पिरामल ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा था कि हम हर साल 3-4 बड़े स्ट्रक्चर्ड सौदे करना चाहते हैं और एनबीएफसी बिजनेस को मजबूत करना चाहते हैं। हमारा इरादा अगले पांच सालों में 15 हजार करोड़ रुपये के एसेट साइज तक पहुंचना है। गैमन इंडिया के पूर्व एमडी परवेज उमरीगर को-सीईओ के रूप में ग्रुप से जुड़ चुके हैं। उन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सेगमेंट्स पर फोकस करना है। उमरीगर पिरामल एंटरप्राइजेज के हेड (इनवेस्टमेंट्स) जयेश देसाई के साथ काम करते हैं। सुरक्षित और स्थायी रिटर्न चाहने वाले सीपीपी जैसे बड़े विदेश इंस्टिट्यूशंस के लिए भारत विशाल प्रॉपर्टी मार्केट है। कई विदेशी निवेशक रियल्टी कंपनियों में निवेश कर अपने हाथ जला चुके हैं। इसमें इन कंपनियों के लचर कॉरपोरेट गवर्नेंस का भी बड़ा हाथ रहा है। अब ये विदेशी निवेशक लिस्टेड नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर जैसे डेट इंस्ट्रूमेंट्स और यहां तक कि जमीन के बदले लोन जैसे साधनों में इनवेस्टमेंट कर रहे हैं।

 

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