कैनेडा ने दी थी अमेरिका को जासूसी की इजाजत,विवाद बढऩे के आसार

BRITAIN-G8-SUMMIT-CANADA-PRESSERटोरंटो,कैनेडा प्रशासन ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) को देश में जासूसी की इजाजत दी थी। इसके बाद एनएसए ने 2010 में ओंटारियो में आयोजित जी-8 और जी-20 सम्मेलन की जासूसी की थी। इस दौरान कई तरह की जानकारी एकत्र की गई।
सीबीसी न्यूज ने अमेरिकी व्हिसिल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडन से मिले दस्तावेज के हवाले से यह दावा किया है। सीबीसी के मुताबिक दस्तावेज में यह साफ नहीं है किन लोगों को निशाना बनाकर जासूसी की गई। लेकिन यह पुख्ता तथ्य है कि अमेरिकी एजेंसी की योजना से कैनेडा पूरी तरह वाकिफ था।
बुधवार को संबंधित न्यूज रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। कैनेडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर के प्रवक्ता ने इस पर कहा कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े ऑपरेशनल मामलों पर प्रतिक्रिया नहीं देते। कैनेडा की जांच एजेंसी कम्युनिकेशन सिक्योरिटी एस्टेब्लिशमेंट ने भी कहा कि वह कैनेडा और सहयोगी राष्ट्रों के ऑपरेशनों पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकती।

यूएन में जासूसी रोकने का प्रस्ताव
जर्मनी और ब्राजील की तरफ से आए निजता के अधिकार प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र की अधिकार समिति ने पास कर दिया। हाल के दिनों में अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने कई राष्ट्राध्यक्षों की जासूसी की थी, जिसके बाद यह प्रस्ताव आया।
प्रस्ताव में कहा गया है कि सरकारें और कंपनियां अगर निगरानी या आंकड़े जमा कर उनकी समीक्षा करती हैं, तो यह मानव अधिकार का उल्लंघन है। फ्रांस, रूस और उत्तर कोरिया सहित 55 देशों ने इस प्रस्ताव को लाने में साथ दिया। हालांकि इसमें किसी देश का नाम नहीं लिया गया है लेकिन हाल के दिनों में अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए पर आरोप लगे हैं कि उसने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल सहित कई राष्ट्राध्यक्षों के फोन टैप किए।
जर्मनी ने लगाया जासूसी का आरोप
अमेरिका के पूर्व खुफिया कर्मचारी और अब रूस में शरण में रह रहे एडवर्ड स्नोडन ने रिपोर्ट लीक की थी कि एनएसए ने मैर्केल के मोबाइल फोन पर हुई बातचीत सुनी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रुसेफ के कार्यालय की बातचीत पर भी नजर रखी गई। इसके बाद जर्मनी और ब्राजील ने मिल कर यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया। यूएन में जर्मनी के राजदूत पीटर विटिष ने बताया कि यह पहला मौका है, जब संयुक्त राष्ट्र ने ऑनलाइन मानवाधिकारों पर कोई पक्ष लिया है और इस प्रस्ताव से एक अहम राजनीतिक संदेश गया है।
विटिष ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की मानवाधिकार समिति में कहा, प्रस्ताव इस बात पर जोर देता है कि गैरकानूनी ढंग से निगरानी और संचार की जासूसी, दखल देने वाली कार्रवाई है, जो निजता के अधिकार का हनन करती है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए भी बाधक हो सकता है। उन्होंने कहा, सरकारों को इससे बचना चाहिए और इसलिए ऑनलाइन या ऑफलाइन सुरक्षा की आवश्यकता है।
अमेरिका और उसके सहयोगी देश ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा और न्यूजीलैंड ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया। इन पांचों देशों को फाइव आइज खुफिया ग्रुप कहते हैं। हालांकि आखिरी मौके पर प्रस्ताव के मसौदे को थोड़ा नरम कर दिया गया। अब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मामलों की प्रमुख नवी पिल्लई निजता के इस मामले पर एक रिपोर्ट तैयार करेंगी। विटिष ने यह भी कहा है कि इस मुद्दे पर जिनेवा में मानवाधिकार परिषद में एक विस्तृत बहस भी होगी।

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