पहली बार भारत आए जापान के सम्राट
नई दिल्ली। चीन के साथ तनाव के बीच नई दिल्ली के साथ रिश्तों को मजबूती देने के मकसद से जापान के सम्राट अकिहितो और रानी छह दिवसीय दौरे पर शनिवार को भारत पहुंच गए। प्रोटोकॉल के उलट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पत्नी गुरशरण कौर के साथ जापान के शाही जोड़े का स्वागत करने खुद हवाई अड्डे पहुंचे। १९९० में जापान का सम्राट चुने जाने के बाद अकिहितो का किसी दक्षिण एशियाई देश का यह पहला दौरा है। अकिहितो का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब चीन के साथ उसके संबंधों में खासी तनातनी है।
नई दिल्ली और टोक्यो के रिश्तों को नई ऊंचाइयां देने के मकसद से पत्नी मिशिको के साथ भारत आए ७९ वर्षीय अकिहितो के साथ ५० सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है। पूर्व जापानी प्रधानमंत्री योशिरो मोरी भी इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं। किसी भी जापानी सम्राट की यह पहली भारत यात्रा है। अकिहितो इससे पहले बतौर युवराज १९६० में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में भारत आए थे।
विदेश मंत्रालय ने अकिहितो के इस दौरे को सद्भावना से परिपूर्ण करार देते हुए दोनों देशों के प्रगाढ़ संबंधों का प्रतीक बताया। हालांकि, मंत्रालय की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि इस दौरान किसी भी राजनीतिक या समसामयिक विषय पर वार्ता नहीं होगी।
नई दिल्ली में प्रवास के बाद जापान का यह शाही जोड़ा चेन्नई जाएगा। उनके स्वागत की जिम्मेदारी विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद संभाल रहे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वयं शाही जोड़े का स्वागत कर जापान के साथ अपने रिश्तों की अहमियत दुनिया को बता दी। उनका स्वागत के लिए जाना या न जाना पिछले कुछ दिनों से देश के भीतर चर्चा का विषय बना हुआ था। दरअसल, प्रोटोकॉल के अनुसार प्रधानमंत्री स्वयं स्वागत के लिए नहीं जा सकते, लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के पिछले भारत दौरे के समय प्रधानमंत्री प्रोटोकॉल को दरकिनार कर स्वयं स्वागत के लिए पहुंचे थे। शनिवार को एक बार फिर उन्होंने स्वयं पहुंचकर जापान के साथ अपने रिश्तों की अहमियत दोहराई। गौरतलब है कि भारत-जापान के रिश्ते ऐतिहासिक दृष्टि से अब तक के उच्च स्तर पर हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस वर्ष मई में जापान दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश व अन्य कई क्षेत्रों में सहयोग के कई समझौते हुए थे। इसी कड़ी को आगे बढ़ाने के लिए जापान का शाही जोड़ा भारत यात्रा पर आया है।
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