मंडेला को श्रद्धांजलि देने स्टेडियम में जुटे ९० हजार लोग, संस्कृत में गूंजे श्लोक
जोहानिसबर्ग। जोहानिसबर्ग के एफएनबी फुटबॉल स्टेडियम में मंगलवार को अभूतपूर्व नजारा था। न बारिश की फिक्र, न ठंड की चिंता। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि देने करीब ९० हजार लोग जमा थे। साथ में ९०देशों के १०० से ज्यादा नेता भी। रंगभेद विरोधी आंदोलन के अगुआ ‘मदीबा’ को अंतिम विदाई देने जुटी भीड़ ने शोक के बदले जीवन का उत्सव मनाया। गीत गाते रहे, बैंड बजता रहा, लोग नाचते रहे। तीन घंटे से अधिक चले इस कार्यक्रम का दुनिया भर में सीधा प्रसारण किया गया। करोड़ों लोगों ने इसे टीवी पर देखा। मंडेला को १५ दिसंबर को उनके पैतृक नगर कुनू में दफनाया जाएगा। ९५ वर्षीय मंडेला का गुरुवार निधन हो गया था।
मंडेला की स्मृति में हुए कार्यक्रम में श्लोक भी गूंजे। दक्षिण अफ्रीकी हिंदू महासभा के अध्यक्ष पंडित अश्विन त्रिकामजी ने श्लोक पढ़े। जब संबोधन के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का नाम पुकारा गया, तब पूरे स्टेडियम में बैठे लोग उनके सम्मान में उठ खड़े हुए। प्रणब ने कहा कि भारत को पूरा यकीन है कि दुनिया मंडेला की विरासत का सम्मान करेगी। मंडेला की सत्याग्रह की अपनी शैली थी। उससे उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। उनके सिद्धांत हमें महात्मा गांधी की हमेशा याद दिलाते रहे।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि मंडेला महात्मा गांधी जैसे ही तो थे। वे इतिहास की सबसे असाधारण शख्सियतों में शामिल हो गए हैं। वे अपने पूरे देश को इंसाफ के रास्ते पर ले गए। उसे भेदभाव रहित बनाया। मंडेला प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जन्मे थे। गांधी की तरह उन्होंने आंदोलन चलाया। उन्होंने शोषितों के हक के लिए आवाज उठाई।
नासा ने खोजी दुनिया की सबसे ठंडी जगह
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विश्व की सबसे ठंडी जगह का पता लगाया है। यह है पूर्वी अंटार्कटिका का एक बर्फीला पठारी हिस्सा। नासा के अनुसार यहां तापमान माइनस ९३.२ डिग्री रहता है। इससे पहले भी सबसे ठंडा स्थान पूर्वी अंटार्कटिका में ही मिला था। २१ जुलाई १९८३ को यहां के वोस्तोक रिसर्च स्टेशन का पता चला, जहां तापमान माइनस ८९.२ डिग्री था।
नासा ने सबसे ठंडे बर्फीले पठारी हिस्से का मेजरमेंट साल २००३,२०१३ के बीच किया। नासा व यूएस जियोलॉजिकल सर्वे द्वारा छोड़े गए नए सेटेलाइट लैंडसेट ८से इस स्थान का पता चला।
नेशनल स्नो एंड आइस डाटा सेंटर के प्रमुख वैज्ञानिक टेड स्केमबोस का कहना है कि, मुझे बताया गया है कि यहां पर हर सांस लेना बेहद कष्टकारी होता है। सांस लेते समय आपका गला और फेफड़ा जम सकता है।
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