गठबंधन टूटने के आसार, इस्तीफा दे सकते हैं उमर
नई दिल्ली,जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का गठबंधन टूटने के कगार पर है। बताया जा रहा है कि दोनों दलों में तीखे मतभेदों के चलते मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं।कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव और इसी साल अक्तूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव से पहले करीब 700 नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन की योजना में बाधक बन रही है। इसे लेकर दोनों दलों में टकराव है। कांग्रेस महासचिव एवं पार्टी मामलों की प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी, प्रदेशाध्यक्ष सैफुद्दीन सोज, केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद और उमर के बीच गतिरोध सुलझाने के प्रयास को लेकर सोमवार को हुई बैठक असफल रही।
नेशनल कांफ्रेंस सूत्रों ने कहा कि इन्हीं वजहों से निराश मुख्यमंत्री पद छोड़ने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस इस योजना को नाकाम करने के लिए प्रतिबद्ध प्रतीत हो रही है। उसे लगता है कि इस योजना से आगामी चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस को फायदा होगा।
इस मुद्दे पर बीते हफ्ते उमर ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट की थी। बाद में कांग्रेस सूत्रों ने कहा था कि सोनिया मुद्दे के जल्द समाधान के पक्ष में थीं। हालांकि उसके बाद कोई प्रगति नहीं हुई।
पांच साल से गठबंधन की अगुवाई करने वाले उमर यदि इस्तीफा देते हैं तो नेशनल कांफ्रेंस विधानसभा चुनाव आगे बढ़ाने और इसे लोकसभा के साथ कराने पर जोर डाल सकती है। इनके इस्तीफे से राज्यपाल शासन का रास्ता खुल जाएगा।
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रशासनिक इकाइयों के गठन के प्रस्ताव में वित्तीय प्रभाव पर विचार नहीं किया गया, इसलिए पार्टी इसका विरोध कर रही है। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित होना चाहिए था कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में इकाइयों का समान वितरण हो।
इसका विरोध करते हुए नेशनलकांफ्रेंस ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने आठ नए जिले बनाए थे। एक प्रशासनिक इकाई एक जिले से काफी छोटी होती है। सत्तारूढ़ पार्टी की सोच यह भी है कि वह एक निष्ठावान सहयोगी पार्टी रही है और कांग्रेस मंत्रियों के गलत कार्यो के लिए उमर ने काफी आलोचनाएं भी झेली हैं।
इकाइयों पर गतिरोध गठबंधन साझेदारों के बीच तीखे मतभेद नए हैं, जिससे लगता है कि दोनों दलों में विश्वास की कमी है। दोनों के बीच स्वायत्तता और सेना को व्यापक शक्तियां देने वाले अफ्सपा को हटाने को लेकर भी दोनों में मतभेद थे।
Comments are closed.