सरकार की सिफारिश खारिज, दिल्ली में लगा राष्ट्रपति शासन

arvindkejriwalm3नई दिल्ली – केंद्र सरकार ने दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू करने का फैसला किया है। विधानसभा भंग करने की अरविंद केजरीवाल सरकार की सिफारिश को खारिज करते हुए दिल्ली विधानसभा को फिलहाल निलंबित रखा गया है। शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उपराज्यपाल नजीब जंग की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया।

उपराज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में न तो विधानसभा को भंग करने और न ही उसे निलंबित करने की सिफारिश की थी। लेकिन गृह मंत्रालय की ओर से तैयार नोट में विधानसभा को निलंबित रखने की सिफारिश की गई थी। संकेत है कि अब दिल्ली विधानसभा के चुनाव आम चुनाव के साथ होने की संभावना कम है।

गौरतलब है कि शुक्रवार को इस्तीफा देते हुए केजरीवाल सरकार ने दिल्ली विधानसभा भंग कर नए सिरे से चुनाव कराने की सिफारिश की थी। लेकिन गृह मंत्रालय ने इस सिफारिश को अस्वीकार करते हुए कैबिनेट के सामने विधानसभा निलंबित रखने का प्रस्ताव रखा। गृह मंत्रालय की राय थी कि उपराज्यपाल को एक बार फिर नई सरकार के गठन की संभावना तलाशने के लिए समय मिलना चाहिए। कैबिनेट ने गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। कैबिनेट के फैसले को अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मुहर लगते ही दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा।

विधानसभा भंग करने की मांग को खारिज करने की बाबत गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक विधानसभा भंग करने के पहले सरकार बनाने की सभी संभावनाएं तलाशी जानी चाहिए। उनके अनुसार निलंबित विधानसभा की स्थिति में उपराज्यपाल एक बार फिर राजनीतिक दलों को टटोल कर नई सरकार के गठन की संभावना तलाश सकते हैं।

किसी भी सूरत में सरकार नहीं बनने के बाद ही विधानसभा भंग कर चुनाव कराने का फैसला लिया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने झारखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले साल फरवरी में इसी तरह विधानसभा को निलंबित रखते हुए राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। लगभग पांच महीने के इंतजार के बाद वहां नई सरकार बनाने में सफलता मिली थी। नियम के मुताबिक केंद्र छह महीने तक किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकता है। अगले संसदीय सत्र में उस पर मुहर लगती है।

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