मोदी से मीटिंग के बाद कांग्रेस नेताओं से मिलीं अमेरिकी राजदूत नैंसी पॉवेल
नई दिल्ली. बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की गुरुवार को गांधीनगर में अमेरिकी राजदूत नैंसी पॉवेल के साथ हुई मुलाकात का चाहे कोई भी एजेंडा रहा हो लेकिन इससे यह संदेश साफ तौर पर गया है कि मोदी को लेकर अमेरिका के रुख में बदलाव आया है। मोदी से मुलाकात के बाद पॉवेल ने गुजरात कांग्रेस के नेताओं से भी मुलाकात की।
गांधीनगर में करीब एक घंटे चली बैठक के बाद अमेरिकी राजदूत ने कहा, ‘अमेरिका-भारत के बीच साझेदारी महत्पूर्ण और रणनीतिक है। अमेरिका भारत में लोकसभा चुनावों में चुनी गई सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहता है।’
मुलाकात में क्या हुआ?
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पॉवेल ने गुजरात विकास मॉडल को न केवल सराहा, बल्कि ये भी कहा कि जिस तरह यहां काम हुआ है शायद ही दुनिया के किसी कोने में देखने को मिले। सूत्रों ने ये भी बताया कि अमेरिकी राजदूत पॉवेल ने मोदी से कहा कि वह 20 साल बाद गुजरात आई हैं। इस दौरान यहां व्यापार जगत में अपार संभावनाएं बढ़ी हैं। पॉवेल ने ये भी कहा कि वह मोदी के काम से काफी प्रभावित हुई हैं।
सूत्रों के मुताबिक इस दौरान मोदी ने राजनयिक देवयानी खोबरागड़े मुद्दा भी उठाया। इस पर पॉवेल ने भरोसा जताया कि अमेरिका मामले की त्वरित समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
विशेषज्ञ क्या मानते हैं?
अमेरिका के पूर्व भारतीय राजदूत ललित मानसिंह का मानना है कि इस मुलाकात को अमेरिका की आर्थिक कूटनीति के तौर पर ज्यादा लेना चाहिए। मानसिंह ने कहा है कि अमेरिका के लिए ये मुलाकात भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है। साथ ही, ये भी सच्चाई है कि गुजरात दंगा मामले में भी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अदालत ने क्लीन चिट दे दी है।
अमेरिका के पूर्व भारतीय राजदूत नरेश चंद्रा का मानना है कि यूरोपियन संघ के मोदी के साथ लगातार बढ़ते रिश्ते के मद्देनजर अमेरिकी विदेश मंत्रालय खुद को असहज महसूस करने लगा है। हालांकि, चंद्रा ने कहा कि हम इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते कि अमेरिका को अपने विचार बदलने में 12 साल का लंबा समय लग गया।
एजेंडा, जो बताया नहीं जा रहा
मोदी-पॉवेल के बीच की इस मुलाकात को लेकर बराक ओबामा प्रशासन का कहना है कि भारत-अमेरिकी संबंधों की प्रगाढ़ता को दर्शाने के लिए यह बैठक आयोजित की गई है। यह मुलाकात राजनीति व व्यापार जगत के नेताओं तक पहुंच बनाने का हिस्सा है। चूंकि, वाइब्रेंट गुजरात समिट 2015 बीजेपी के एजेंडे में शामिल है। लिहाजा, इस मुलाकात को आगामी लोकसभा चुनाव के संदर्भ में देखा जा रहा है।
भाजपा ‘मोदी लहर’ का असर मान रही है
भाजपा के विदेशी मामलों के प्रमुख विजय जॉली ने मोदी के प्रति अमेरिका के नए रुख का स्वागत किया है। जॉली ने कहा देर आए, दुरुस्त आए। भाजपा नेता जॉली का कहना है कि अमेरिकी सरकार भारत की जमीनी हकीकत से निर्देशित होती है। वर्तमान में देशभर में मोदी की लहर है। यहां तक कि मोदी अमेरिकी भारतीयों की भी पहली पसंद बने हुए हैं। उनमें से अधिकांश गुजरात से ताल्लुक रखते हैं।
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ भाजपा (यूएस) के अध्यक्ष चंद्रकांत पटेल ने कहा कि हम लंबे अरसे से इस दिन का इंतजार कर रहे थे। हमारा मानना है कि भविष्य में भारत-अमेरिका के बीच रिश्ते के लिए ये मुलाकात बेहतरी के लिए होगा। ओबामा प्रशासन को ये एहसास हो गया है कि मोदी भारत के सबसे शक्तिशाली नेता में से हैं।
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