भारतीय डॉक्टर विवेक हालागेरे बनेंगे सबसे कम उम्र के अमेरिकी सर्जन जनरल
कुछ लोग ही ऐसे होते हैं जो गांव के नाम को अपने नाम में जोड़ें। डॉ. विवेक मूर्ति इन्हीं में से एक हैं। उनका परिवार कर्नाटक के मांड्या जिले के मद्दुर तालुका स्थित हालागेरे गांव से है। दादाजी एचटी नारायण शेट्टी किसान थे। उन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी। पिता मैसूर मेडिकल कॉलेज में पढ़े। कुछ समय भारत में काम करने के बाद परिवार को लेकर इंग्लैंड चले गए। डॉ. विवेक का जन्म यहीं हुआ। वे तीन साल के थे तब परिवार फ्लोरिडा शिफ्ट हो गया। मियामी के पैलमेटो सीनियर हाई से स्कूलिंग की। डॉक्टर पिता को देख वे इसी क्षेत्र में आना चाहते थे।
2003 में हेल्थ केयर मैनेजमेंट में एमबीए किया। 2006 में ब्रिगहम एंड वुमंस हॉस्पिटल से इंटर्नल मेडिसन का कोर्स किया। मास्टर्स डिग्री के बाद कुछ समय डूनडॉक्स कर्नाटक में काम करने के लिए आए। वे हर साल हालागेरे आते हैं। उन्होंने बच्चों की अच्छी एजुकेशन के लिए मद्दुर तालुका के सरकारी स्कूलों को 100 कंप्यूटर डोनेट किए हैं।
उन्होंने भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई योगदान दिए हैं। जैसे ‘स्वास्थ्य’ रूरल-कम्युनिटी हेल्थ केयर पार्टनरशिप शुरू की, जिसमें युवा महिलाओं को हेल्थ केयर एजुकेटर बनने की ट्रेनिंग दी गई। फ्री हेल्थ कैंप भी लगाए। वे डॉक्टर्स ऑफ अमेरिका के सह-संस्थापक हैं। यह संस्था अमेरिकी लोगों को कम कीमतों पर बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं देने की जिम्मेदारी संभालती है।
उन्होंने 2005 में विज़िन्स नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन शुरू की। इसका उद्देश्य भारत और अमेरिका में लोगों को एचआईवी/एड्स के लिए जागरुक करना था। 2011 में ओबामा ने उन्हें प्रेसीडेंट के प्रिवेंशन, हेल्थ प्रमोशन और पब्लिक हेल्थ के एडवाइज़री ग्रुप में अपॉइंट किया था। ओबामा ने कहा,‘सबसे छोटी उम्र के सर्जन जनरल होने के बावजूद मुझे यकीन है कि डॉ. मूर्ति अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करेंगे।’ सर्जन जरनल बनने के बाद वे सबसे पहले ओबेसिटी (ज्यादा वजन) की समस्या को कम करेंगे।
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