‘द एक्सिडेंटल पीएम…’ ने मचाई सियासी हलचल

M_Id_411848_ManmohanSoniaनई दिल्ली – प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू की हालिया किताब ‘ द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर: द मेकिंग एंड अनमेंकिंग ऑफ मनमोहन सिंह’ ने चुनाव के बीच सियासी हलकों में खलबली मचा दी है। दरअसल, इस किताब में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आपसी समीकरणों व रिश्तों पर बेबाक टिप्पणी की गई है। इसमें कहा गया है कि मनमोहन सिंह को अपने दूसरे कार्यकाल में कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए के घटक दलों के आगे घुटने टेक देने पड़े। नौबत यहां तक पहुंच गई थी कि दूसरी बार सरकार में आने के बाद कैबिनेट के चयन में पीएम के बजाए सोनिया गांधी और घटक दलों की चली। इस किताब के सामने आने के बाद एक बार फिर से कांग्रेस में सत्ता के दोहरे केंद्र पर चर्चा शुरू हो गई है।
गौरतलब है कि पहले भी कांग्रेस में दो केंद्रों को लेकर बातें होती रहीं हैं। उधर, इस किताब पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से बाकायदा टिप्पणी सामने आई, जिसमें इस किताब को काल्पनिक और मिर्च मसाला युक्त करार दिया।
सरकार में दखल
अपनी किताब में बारू ने लिखा है कि किस तरह से मनमोहन सिंह को डीएमके के ए राजा और बालू को कैबिनेट में बनाए रखना पड़ा, किस तरह से मन होने के बावजूद वह सी रंगराजन को अपना आर्थिक सलाहकार नियुक्त नहीं कर पाए। ऐसे ही मनमोहन सिंह अपने पहले कार्यकाल में ही समझ गए थे कि सोनिया गांधी ने सरकार के समकक्ष ही अपना एक समानांतर ढांचा खड़ा करने की कोशिश की है। बारू लिखते हैं कि सोनिया गांधी की अध्यक्षता में बना राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) इस दिशा में पहला कदम था। इतना ही नहीं, सरकार पर नजर रखने के लिए पुलक चटर्जी को 10 जनपथ की तरफ से पीएमओ में नियुक्त करवाया गया।
चुनावी मौसम में पहले ही देशभर में एंटी इंकंबेंसी माहौल के चलते दिक्कतों से जूझ रही कांग्रेस के लिए यह किताब नई मुश्किलें खड़ी कर सकती है। विपक्ष पहले भी कांग्रेस में दो पावर सेंटर के मुद्दे को लेकर मनमोहन सिंह को कमजोर पीएम करार देते हुए सरकार व कांग्रेस पर हमला करता रहा है। अब विपक्ष को और हमलावर होने का मौका मिलेगा।

चुनाव के इस मौके पर यह किताब और भी अहम हो जाती है, क्योंकि मनमोहन सिंह के 10 साल के कार्यकाल में उनके तीन मीडिया एडवाइजर हरीश खरे, बारू और मौजूदा एडवाइजर पंकज पचौरी रहे। इन तीनों में से बारू ही प्रधानमंत्री के सबसे नजदीकी रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, इसी नजदीकी के चलते वह पीएमओ की हर गतिविधि व फाइल से वाकिफ रहे हैं।
किताब काल्पनिक : पचौरी
पीएमओ की तरफ से पचौरी ने किताब में दिए गए तथ्यों को काल्पनिक और चटखारेदार करार दिया है।पीएमओकी ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बारू ने इतने अहम पद और उससे जुड़े विशेषाधिकारों का गलतइस्तेमाल किया है। बयान में यह भी कहा गया है कि पूर्व मीडिया एडवाइजर ने अपने व्यवसायिक हितों के लिएइन विशेषाधिकारों व इस पद का गलत इस्तेमाल किया है। इसमें सिंह के उस बयान का जिक्र किया गया है , जबपीएम ने सीनियर एडिटरों से हुई अपनी एक मुलाकात में साफ तौर पर कहा था कि वे बारू की कही बातों परकतई भरोसा न करें।
बीजेपी का मिला मुद्दा
बीजेपी नेता वेंकैया नायडू ने कहा है कि मैंने पहले ही कहा था कि प्रधानमंत्री कुर्सी संभालते हैं और फैसले सोनियागांधी करती हैं। पार्टी प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस किताब से पार्टी का यह अंदेशा सच साबित होगया है कि फैसले सोनिया गांधी ही करती हैं।

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