सारधा चिटफंड घोटाले के लिए एसआइटी गठित
नई दिल्ली। चार राज्यों के निवेशकों से दस हजार करोड़ रुपये की ठगी वाले सारधा चिटफंड घोटाले की जांच के लिए सीबीआइ ने विशेष जांच दल [एसआइटी] का गठन कर दिया है। एसआइटी का नेतृत्व संयुक्त निदेशक राजीव सिंह करेंगे। यह विशेष दल घोटाले में बाजार नियामक सेबी और भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] की भूमिका की जांच भी करेगा। आरोप है कि कंपनी ने बंगाल, ओडिशा, असम और बिहार के निवेशकों को चूना लगाया।
एसआइटी में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, पूर्वोत्तर और बिहार के एजेंसी अधिकारी भी शामिल किए जाएंगे। सीबीआइ प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने बताया कि एजेंसी मामले में एफआइआर दर्ज करने से पहले घोटाले से संबंधित सभी दस्तावेज इकट्ठा करेगी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सीबीआइ को मामले की जांच करने और राज्य पुलिस को केंद्रीय एजेंसी का सहयोग करने का आदेश दिया था। सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक मामले में कंपनी अधिनियम के तहत सेबी और आरबीआइ की भूमिका की जांच भी करेगी। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि अब तक की जांच में सेबी, कंपनी रजिस्ट्रार और आरबीआइ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे हैं, जिनके अधिकार क्षेत्र में न सिर्फ घोटाला शुरू हुआ, बल्कि फला-फूला भी। सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी पूरे घोटाले में एक एफआइआर दर्ज करने या अलग-अलग मामले दर्ज करने को लेकर कानूनी राय लेगी।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि सीबीआइ घोटाले में शामिल सारधा और अन्य 44 कंपनियों के खिलाफ जांच करेगी। प्रवर्तन निदेशालय [ईडी] भी सारधा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है। ईडी इस संबंध में पांच मामले दर्ज कर चुका है। पिछले साल पश्चिम बंगाल पुलिस ने सारधा समूह के प्रमुख सुदीप्त सेन को कश्मीर से गिरफ्तार किया था। तृणमूल कांग्रेस सांसद कुणाल घोष को 23 नवंबर, 2013 को इसी मामले में गिरफ्तार किया गया था। घोष समूह के सीईओ [मीडिया] थे। सारधा चिटफंड घोटाला पिछले वर्ष के शुरू में सार्वजनिक हुआ था।
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