आयोग के लिए भी चुनौतियां छोड़ गया चुनाव
नई दिल्ली – लोकसभा चुनाव-2014 तो खत्म हो गया, लेकिन पिछले कई वर्षो से बेदाग रहे चुनाव आयोग (ईसी) पर भी छींटें छोड़ गया। शायद ही कोई बड़ा राजनीतिक दल हो जिसने आयोग की मंशा और कामकाज पर सवाल न खड़े किए हों। लगभग खत्म हो चुके फर्जी मतदान को लेकर भी शिकायतों ने आयोग का पाला नहीं छोड़ा, तो लाख दावों के बावजूद ऐसे लोगों की भी कमी नही रही जिन्हें वोट देने से वंचित कर दिया गया। कुल मिलाकर आयोग के सामने भी लोकसभा चुनाव कुछ चुनौतियां छोड़ गया।
चुनाव आयोग ने नौ चरण में मतदान कराने का फैसला लेकर यह तो सुनिश्चित कर लिया कि सुरक्षा पर आंच न आए। इसमें वह सफल भी रहा, लेकिन कामकाज और नियंत्रण कई बार डगमगाता दिखा। दरअसल, आयोग अपने कुछ फैसलों को लेकर ही सवालों के कठघरे मे आ गया। भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के मतदान परिसर में चुनाव चिह्न दिखाने पर एफआइआर तो दर्ज करा दी, लेकिन कुछ दिन बाद ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मतदान केंद्र मे ईवीएम तक जाने पर आयोग ने चुप्पी साध ली। बाद में राहुल को जवाब के लिए और तीन दिन का वक्त दे दिया। वाराणसी में नरेंद्र मोदी की रैली को अनुमति न देने के मामले में भी चुनाव आयोग और उनके प्रतिनिधि स्थानीय डीएम निशाने पर आए, तो वहां विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त करना पड़ा। इसी क्रम मे आयोग के निर्देशों को अगूंठा दिखाते हुए सपा के मंत्री आजम खान ने उन्हें चुनौती दे डाली, तो आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी धार्मिक आधार पर वोट मांगने के आरोप का जवाब देने की बजाय यह आरोप लगाने में देर नहीं लगाई कि आयोग शुतरमुर्गी तरीके से काम कर रहा है। आखिरी दिन एक बयान जारी कर आप ने कहा कि मतदान के वक्त भी मोदी का संदेश जारी हो रहा है और आयोग कुछ भी करने में अक्षम है। कांग्रेस ने भी औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज कराई।
सच्चाई यह है कि आचार संहिता उल्लंघन को लेकर आयोग अपना रुतबा नहीं दिखा पाया। कुछ फैसले जल्दबाजी में दिखे तो कुछ पर कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी, लेकिन पूरे चुनाव के दौरान सबसे बड़ी कमी आखिरी दिन दिखी। यूं तो आयोग ने मतप्रतिशत बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए। फिर भी सबसे हाईप्रोफाइल मानी जा रही वाराणसी सीट पर जानबूझकर धीमी गति से मतदान कराने और कुछ स्थानों पर पहचान पत्र होने के बावजूद वोट न डालने देने की शिकायत दर्ज हो गई। ऐसी शिकायत महाराष्ट्र से भी आई थी, जबकि उत्तर प्रदेश के कुछ मतकेंद्रों पर फर्जी मतदान की भी शिकायत दर्ज कराई गई। यह और बात है कि नगदी, शराब, ड्रग्स जब्ती में आयोग ने मुस्तैदी दिखाई। पूरे चुनाव के दौरान कुल 331 करोड़ रुपये जब्त हुए जिसमें आंध्र प्रदेश सबसे उपर रहा। अकेले यहीं से 153 करोड़ रुपए जब्त हुए।
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