16वीं लोकसभा का चुनाव अब तक का सबसे महंगा
नई दिल्ली। देश के लोकतांत्रिक इतिहास में 16वीं लोकसभा का चुनाव सबसे महंगा साबित हुआ। इस चुनाव पर सरकारी खजाने से 3,426 करोड़ रुपये खर्च हुए। 2009 लोकसभा चुनाव के मुकाबले इसमें 131 फीसद की वृद्धि हुई। पांच साल पहले हुए आम चुनाव पर कुल 1483 करोड़ रुपये खर्च आया था।
यह आधिकारिक खर्च 30,000 करोड़ रुपये के उस बजट का हिस्सा है, जो एक अनुमान के अनुसार नौ चरणों में सोमवार को संपन्न हुए चुनाव में सरकार, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की ओर से खर्च किया जाना था। चुनाव आयोग ने खर्च में इस वृद्धि के लिए महंगाई को कारण बताया है। साथ ही मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों के कारण भी खर्च में बढ़ोतरी की बात कही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में कई नए राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया और बड़ी तादाद में निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में उतरे। ऐसे में जितने ज्यादा उम्मीदवार, उतना अधिक खर्च।
मतदाता जागरूकता अभियान, मतदान की तारीख से पहले मतदाताओं तक वोटर पर्ची पहुंचाने और पहली बार चुनाव में वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल के कारण भी खर्च में बढ़ोतरी हुई। आयोग के अनुसार 1952 के पहले लोकसभा चुनाव की अपेक्षा 2009 में 20 गुना ज्यादा खर्च आया था। 1952 में एक मतदाता पर 60 रुपये खर्च हुए थे जबकि 2009 में यह खर्च बढ़कर 12 रुपये हो गया।
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