सीरिया में पिछले महीने भी हुआ था केमिकल अटैक, ह्यूमन राइट्स वॉच का दावा

बेरुत। सीरिया की सेना ने बीते माह विद्रोहियों पर केमिकल हथियार का इस्तेमाल किया था। ये दावा किया है प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह ने। मंगलवार को समूह ने कहा कि उसके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि बशर सेना ने विद्रोहियों पर क्लोरिन गैस से हमला किया था। इसके अलावा समूह ने सीरिया पर आवासीय क्षेत्रों पर बैरल बम फेंकने की भी बात कही है।
न्यूयॉर्क स्थित ह्यूमन राइट्स वॉच ने मामले में चिंता जताते हुए कहा, “सीरिया में अभी भी केमिकल हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है।” गौरतलब है कि 2013 के अगस्त महीने में हुए केमिकल हमले में सैकड़ों नागरिकों की जानें गई थीं।
ह्यूमन राइट्स वॉच की ओर से जारी बयान में कहा गया, “अप्रैल के मध्य में राष्ट्रपति बशर असद के वफादार सैनिकों ने उत्तरी सीरिया के तीन शहरों में संभवत: क्लोरिन गैस का इस्तेमाल किया था।” मानवाधिकार समूह ने दस चश्मदीदों के इंटरव्यू, वीडियो फुटेज और तस्वीरों के आधार पर ये कहा है।
समूह ने कहा, “सबूत इस बात को पुख्ता करते हैं कि सीरिया के सरकारी हेलिकॉप्टरों के जरिए तीन शहरों पर क्लोरिन गैस के सिलेंडरों के साथ एम्बेडेड बैरल बम गिराए थे।”
समूह ने ये भी कहा, “इन हमलों में औद्योगिक रसायन को बतौर हथियार इस्तेमाल किया गया, जबकि अंतरराष्ट्रीय संधि के तहत केमिकल हथियारों पर प्रतिबंध लगाया गया है।”
ये वही सीरिया सरकार है, जिसने कफ्रजैता शहर में नागरिकों पर क्लोरिन गैस के इस्तेमाल के लिए अलकायदा समूह को दोषी ठहराया था। अप्रैल के अंत में हुए व्यापक एसोसिएटेड प्रेस जांच में ये बात सामने आई है कि कफ्रजैता में क्लोरिन गैस का इस्तेमाल किया गया था।
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