विद्रोहियों ने लीबिया के नए प्रधानमंत्री अहमद मैतीक को मानने से किया इनकार

त्रिपोली। लीबिया के तेल क्षेत्र के बंदरगाहों पर कब्जा रखने वाले विद्रोहियों के नेता ने कहा है कि वो प्रधानमंत्री अहमद मैतीक की नई सरकार को नहीं मानते। उनके इस बयान के बाद यहां सरकार और विद्रोहियों के बीच बंदरगाहों को खोलने को लेकर हुए समझौते के टूटने का खतरा पैदा हो गया है।
विद्रोहियों के नेता इब्राहिम जाठरान ने पिछली सरकार के साथ एक समझौता किया था, जिसके तहत विद्रोह समाप्त कर इन बंदरगाहों को तेल निर्यात के लिए खोल दिया जाना था। विधि मंत्रालय द्वारा उनके निर्वाचन को अवैध ठहराए जाने के बाद मुस्लिम ब्रदरहुड समर्थित मैतीक के खिलाफ देश की संसद में विरोध के सुर तेज हो गए हैं। इसे देखते हुए जाठरान भी समझौते से पीछे हटते दिख रहे हैं।
जाठरान ने कहा कि सभी विकल्प खुले हैं। अगर संसद नई सरकार पर अपने फैसले पर अडिग रहती है, तो हमें भी अपने पहले के रुख में बदलाव करना पड़ेगा। राजनीतिक विरोध का सामना कर रहे मैतीक की सरकार के लिए जाठरान का यह फैसला आर्थिक रूप से कमर तोड़ देने वाला होगा। पिछले साल गर्मियों में विद्रोहियों द्वारा बंदरगाहों पर कब्जा कर उन्हें बंद कर दिए जाने से देश का तेल उत्पादन 14 लाख बैरल प्रति दिन से घटकर सिर्फ एक लाख 60 हजार बैरल प्रति दिन रह गया है।
मैतीक की मुश्किलें बढ़ाते हुए सोमवार को संसद के उपाध्यक्ष ने पूर्व प्रधानमंत्री अब्दुल्ला अल थिनी को एक पत्र लिखकर पद पर बने रहने के लिए कहा है। पत्र में कहा गया है क्योंकि विधि मंत्रालय ने मैतीक के प्रारंभिक चुनाव को अवैध करार दिया है इसलिए वो प्रधानमंत्री नहीं बने रह सकते।
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