लालू की शरण में पहुंचे नीतीश
पटना। बिहार में राज्यसभा के उपचुनाव के लिए जदयू प्रत्याशी की जीत पक्की करने को आखिरकार नीतीश कुमार राजद सुप्रीमो की शरण में जा पहुंचे। पूर्व मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को लालू प्रसाद से बात कर समर्थन की अपील की। उन्होंने कांग्रेस व भाकपा से भी अपने उम्मीदवारों को जिताने की अपील की है। नीतीश ने कांग्रेस नेता अशोक चौधरी व सदानंद सिंह और भाकपा नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह से बात कर कहा, भाजपा मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की सरकार को अपदस्थ करना चाहती है। इसके लिए राज्यसभा चुनाव को माध्यम बनाया है। भाजपा की इस साजिश को विफल करना हमारा समान लक्ष्य है। इसके लिए राजद, कांग्रेस और भाकपा को जदयू का साथ देना चाहिए।
जदयू के प्रदेश कार्यालय में शनिवार को कई मंत्रियों व पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ संवाददाता सम्मेलन में नीतीश कुमार ने इन दलों के साथ चुनावी तालमेल की संभावना से भी इन्कार नहीं किया। उन्होंने कहा कि समर्थन की यह अपील वर्तमान परिस्थिति के मद्देनजर है, जबकि चुनावी तालमेल की बातें भविष्य पर निर्भर हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा ऊपर से भोली बनती है, लेकिन राज्यसभा चुनाव को लेकर चल रही गतिविधियों में आकंठ डूबी है। सभी जानते हैं कि भाजपा के किस नेता के घर से सारी गतिविधियां चल रही हैं। कहां से प्रत्याशियों का नामांकन कराया गया? उनमें से एक का नामांकन फिर वापस कराया गया। हालांकि नीतीश ने इस संबंध में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की ओर था। यह पूछे जाने पर कि एक मंत्री ने इस सिलसिले में सात, रेस कोर्स का नाम लिया है, उन्होंने कहा कि मैं व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाता।
नीतीश ने कहा कि लोकसभा चुनाव में जीत पर भाजपा इतरा रही है। सूबे में भी चुनाव कराना चाहती है। नैतिकता के आधार पर जब चुनाव परिणाम आने के पश्चात मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो विधानसभा भंग करने की अनुशंसा मेरे अधिकार का मामला था। लेकिन मैंने ऐसा इस कारण नहीं किया क्योंकि वर्तमान विधानसभा को पांच साल का कार्यकाल पूरा करना चाहिए। लेकिन भाजपा मांझी सरकार को गिराने का षड्यंत्र कर रही है। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद ने जिस आधार पर मांझी सरकार को समर्थन दिया है, उसी आधार पर राज्यसभा चुनाव में भी समर्थन दे। इससे पहले मांझी सरकार को समर्थन देने के लिए मैं राजद, कांग्रेस और भाकपा को धन्यवाद देता हूं। गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव में जदयू के अधिकृत प्रत्याशियों के खिलाफ पार्टी के बागी खेमे ने उम्मीदवार उतारे हैं।
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