कनाडा के क्यिूबक राज्य में इच्छा मृत्यु मंजूर
टोरांटो। क्यिूबक में एक ऐतिहासिक वोट में किसी व्यक्ति को डॉक्टर की सहायता के साथ मरने की अनुमति मिल गई है। राइट टू डाइ एक्ट के तहत इस प्रस्ताव बिल-52 को 80 विधायकों की सहमति के बाद पास करवा दिया है। मु यमंत्री फिलिप कुलारड ने अपने मंत्रियों व विधायकों को वोटिंग के लिए मंजूरी दे दी थी। उन की लिबल पार्टी के 22 विधायकों ने इस प्रस्ताव की खिलाफत की। अब क्यिूबक में ये कानून 2015 के अंत तक अमल में आ जाएगा।
इस कानून के तहत जब कोई व्यक्ति बीमारी के साथ जूंझ रहा हो व उस के स्वास्थ्य में सुधार की कोई गुजाइंश न हो शारिरिक व मानसिक कष्ट बर्दाशत न करता हो मौत के लिए मिन्नतें कर रहा हो तो उस का डॉक्टर ऐसी हालत में अगली टीम के पास केस रखता है। मरीज लिखित में निवेदन के जरिए लाइफ स्पोट हटाने के लिए निवेदन कर सकता है ताकि वे डॉक्टरी सहायता से अपने जीवन को खत्म कर सके। इस विवादस्पत मुद्दा कनाडा में बहुत वर्षों से तूल पड़ा हुआ है व क्यिूबक में इस को अनुमति देने वाला पहला राज्य बन गया है। इस मामले के तार 1993 में नामुराद बीमारी के साथ जूंझ वेनुकवर की दो महिलाओं के साथ जुड़ती है जब उन को सुप्रीम कोर्ट से मरने के हक से इंकार कर दिया था। महिलाएं तो अब जीवित नहीं है पर ये केस राजनीतिक स्तर पर गर्म मसला बन गया है। देश की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नजर रखेगी कि अपराधिक कानून कहीं कष्ट झेल रहे बीमार व्यक्ति के मरने के अधिकारी की उल्लंघना तो नहीं करता। ब्रिटिश कोलंबिया कि सिविल लिबर्टिज एसोसिएशन ने ये मसला अदालत में उस समय लेकर जब केंद्र सरकार नीचली अदालत से इस कानून को लागू करने के लिए एक दो साल की अनुमति ली। मु य मंत्री कुलारड जोकि खुद एक न्यूरो सर्जन है ने कहा कि उन्होंने बहुत मरीज दर्द के साथ तडफ़ते देखे है जो जीना तो चाहते है लेकिन दर्द झेलने की बजाए मौत मांगते है। उन्होंने कहा कि कनाडा सरकार को भी कानून को मंजूर करना चाहिए। हालांकि केंद्र क हुकमरान पार्टी कंजरवेटिव के सांसा स्टीवन फलैचर ने इच्छा मृत्यु के अधिकार में दो निजी प्रस्ताव संसद में पेश किए पर कुछ धार्मिक ग्रुप व कनाडा सरकार क्यिूबक के इस प्रस्तावित प्रस्ताव की खिलाफ ये तर्क देकर करते रहे है कि ऐसा करना देश को अपराधिक कोड के तहत नाजायज है।
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