जल्द दें काले धन की जानकारी: जेटली
नई दिल्ली, कालेधन की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित करने के बाद मोदी सरकार अब स्विट्जरलैंड से इसकी जानकारी हासिल करने में जुट गई है। इसी सिलसिले में वित्त मंत्रालय ने स्विट्जरलैंड सरकार को पत्र लिखकर स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के धन का ब्यौरा जल्द से जल्द देने का आग्रह किया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रालय इस संबंध में स्विस अधिकारियों को पत्र लिख रहा है। इसका मकसद यह है कि उनके पास जो भी सूचना है, वह जल्द से जल्द आ सके और भारत सरकार तथा स्विस सरकार के बीच सहयोग के फलदायी परिणाम निकल सकें। उन्होंने कहा कि सरकार का पत्र सोमवार को ही भेज दिया जाएगा। हालांकि, जेटली ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में सरकार को अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई सूचना नहीं मिली है। स्विटजरलैंड के वित्त मंत्रालय ने भी वक्तव्य जारी कर इस संबंध में मीडिया रिपोर्टो का खंडन किया है। उसके अनुसार, इस साल फरवरी में उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय समकक्षों से मुलाकात की थी। इसके बाद कोई आधिकारिक बैठक नहीं हुई। यह और बात है कि काले धन के खिलाफ लड़ाई में स्विट्जरलैंड भारत की नई सरकार का पूरा सहयोग करेगा।
जेटली का बयान मीडिया की उन खबरों के बाद आया है, जिनमें कहा गया था कि स्विट्जरलैंड सरकार के एक अधिकारी ने जांच के दौरान कुछ व्यक्तियों और संस्थानों के नाम सामने आने और उन्हें भारत सरकार के साथ साझा करने की बात कही है। जेटली ने कहा कि मीडिया में इस तरह की खबरें आई हैं कि स्विस सरकार भारत सरकार के साथ सक्रिय सहयोग करते हुए स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीय नागरिकों के बैंक खाते की जानकारी देने को तैयार है।
स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंक एसएनबी के मुताबिक, वर्ष 2013 में स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का धन 43 प्रतिशत बढ़कर 14 हजार करोड़ रुपये हो गया है। मोदी सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही पहला निर्णय कालेधन की जांच के लिए एसआइटी के गठन का किया था।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमबी शाह की अध्यक्षता में बनी इस एसआइटी की पहली बैठक दो जून को हो चुकी है। स्विस सरकार अब तक एचएसबीसी की सूची में दिए गए भारतीय नागरिकों के नाम के बारे में ब्यौरा देने से मना करती रही है। यह सूची बैंक के एक कर्मचारी ने चुराई थी, लेकिन बाद में यह भारत पहुंच गई।
भारत के बार-बार आग्रह करने के बावजूद स्विस सरकार यह कहकर इस बारे में जानकारी देने से इन्कार करती रही कि वहां का स्थानीय कानून ऐसे मामलों में प्रशासनिक मदद की मनाही करता है, जिसमें सूचना चुराकर या गैर कानूनी ढंग से हासिल की गई है।
जनता जानेगी काले धन का सच
स्विट्जरलैंड की तरफ से स्विस बैंकों में पैसा रखने वाले भारतीयों के नाम बताने की घोषणा से उत्साहित केंद्र सरकार अब घरेलू स्तर पर भी कुछ अहम फैसले करने जा रही है। काले धन को अपना प्रमुख एजेंडा बना चुकी राजग सरकार इस मुद्दे पर जनता के सामने सारा सच रखने की कोशिश करेगी। इस क्रम में सरकार के पास काले धन पर पड़ी हुई तमाम समितियों की रिपोर्टे सार्वजनिक की जा सकती हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली आगामी बजट में इसकी घोषणा कर सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व संप्रग सरकार के कार्यकाल में काले धन पर गठित समितियों की रिपोर्ट को साझा कर ही इस समस्या की गंभीरता के बारे में जनता को बताया जा सकता है। इससे आने वाले दिनों में काले धन की कमाई से जुड़े लोगों या वर्गो के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आधार बनेगा। इन रिपोर्ट में यह तथ्य भी है कि संप्रग के कार्यकाल में देश में काले धन का कारोबार ज्यादा तेजी से हुआ है। वर्ष 2011 में जब बाबा रामदेव और अन्ना हजारे ने काले धन पर राष्ट्रीय आंदोलन शुरू किया था तब केंद्र सरकार ने आम जनता के गुस्से को शांत करने के उद्देश्य से एक साथ कई समितियां गठित कर दी थीं।
इस समय सरकार के पास तीन प्रमुख वित्तीय संस्थानों-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआइपीएफपी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआइएफएम) और नेशनल काउंसिल फॉर एप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की रिपोर्टे पड़ी हुई हैं। इसके अलावा केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) चेयरमैन की अध्यक्षता में भी एक अलग समिति गठित की गई थी। इसकी भी रिपोर्ट सरकार के पास पड़ी हुई है। यह और बात है कि इन्हें अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। इन रिपोर्टो में काले धन के आकार और इसे रोकने के लिए कई अहम सुझाव दिए गए हैं।
उक्त समितियों ने रीयल एस्टेट और आभूषण कारोबार को घरेलू स्तर पर काले धन का प्रमुख स्रोत बताया है और इन पर कार्रवाई करने का तरीका भी बताया है। सीबीडीटी चेयरमैन की अध्यक्षता वाली समिति ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) और कंपनियों के शेयर हस्तांतरण की आड़ में काले धन के सृजन की बात कही थी और इस पर लगाम लगाने की सिफारिशें भी की थीं। जबकि एनआइपीएफपी ने दिसंबर, 2012 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि देश की अर्थव्यवस्था का लगभग 30 फीसद के बराबर काला धन मौजूद है।
लगातार बढ़ रही ब्लैक मनी
-स्विट्जरलैंड सेंट्रल बैंक एसएनबी द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2013 में स्विस बैंक में जमा भारतीयों के धन में 43 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
-स्विस बैंकों में भारतीयों का काला धन लगभग 14 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
-इसमें भारतीयों के प्रत्यक्ष खाते और किसी अन्य व्यक्ति या वेल्थ मैनेजर्स द्वारा किए गए निवेश भी शामिल हैं।
*अब तक इंकार करता रहा स्विट्जरलैंड
एचएसबीसी लिस्ट में जिन भारतीयों का नाम आया था उनकी जानकारी देने से स्विस सरकार भारत को अब तक इन्कार करती रही है। भारत सरकार के बार-बार निवेदन के बावजूद स्विट्जरलैंड ने स्थानीय कानून का हवाला देते हुए जानकारी देने से इन्कार किया है। एचएसबीसी सूची में कथित तौर पर उन भारतीयों और दूसरे देश के नागरिकों के नाम हैं, जिन्होंने स्विट्जरलैंड के बैंक में काला धन जमा किया है। भारत दुनिया के उन 36 देशों में शामिल है, जिनकी स्विट्जरलैंड के साथ टैक्स से जुड़े मुद्दों पर प्रशासनिक सहायता प्रदान करने के लिए संधि है।
Comments are closed.