निठारी कांड: कोली की फांसी बरकरार, राष्ट्रपति ने ठुकराई दया याचिका
नई दिल्ली। नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड को शायद ही कोई भूला होगा। इस नृशंस हत्याकांड के दोषी सुरेंद्र कोली की दया याचिका को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ठुकरा दिया है। सुरेंद्र कोली के अलावा पांच और दोषियों की दया याचिका पर कोई विचार न करते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें भी खारिज कर दिया है।
सूत्रों की मानें तो गृह मंत्रालय नें निठारी कांड के मुख्य दोषी सुरेंद्र कोली के अलावा कुछ दूसरे मामलों में दोषी पाए गए रेणुका बाई, सीमा और राजेंद्र प्रहलाद राव वासनिक (तीनों महाराष्ट्र), जगदीश (मध्य प्रदेश) और होलीराम बोरदोलोई (असम) की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजा था।
उत्तर प्रदेश के नोएडा में बच्चों की नृशंस हत्या के मामले में दोषी पाए गए 42 वर्षीय कोली को वर्ष 2011 में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। कोली को मिली फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।
गौरतलब है कि देश को झकझोर देने वाले इस केस में कोली ने वर्ष 2005-06 के दौरान कई बच्चों के साथ दुष्कर्म और फिर उनकी नृशंस हत्या कर दी थी। कोली निठारी के व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर नौकरी करता था। पंढेर के घर से ही कई लापता बच्चों की लाशें मिली थी। इस हत्याकांड में कोली के खिलाफ 16 मुकदमे चलाए गए, जिनमें से 4 में उसे फांसी की सजा दी गई। जबकि कई मुकदमे अभी भी चल रहे हैं। इसके अलावा एक अन्य हत्याकांड के दोषी रेणुका बाई और उसकी बहन सीमा अपनी मां किरण शिंदे के साथ मिलकर वर्ष 1990 से 1996 के दौरान 13 बच्चों का अपहरण किया था और फिर 9 बच्चों की हत्या कर दी थी। इस मामले में अभियोजन पक्ष सिर्फ पांच हत्याओं को ही साबित कर पाया है। इस हत्याकांड में भी दोनों बहनों को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
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