तीसरे दौर की वार्ता भी नाकाम, पाक में गतिरोध बरकरार
इस्लामाबाद, पाकिस्तान में सरकार व प्रदर्शनकारियों के बीच शनिवार को हुई तीसरे दौर की वार्ता भी नाकाम हो गई। शुक्रवार की रात हुई वार्ता में भी कुछ ठोस नहीं निकल पाया था। इस वजह से राजनीतिक गतिरोध जस का तस बरकरार है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) ने शनिवार को सरकार को नया अल्टीमेटम दे दिया। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पिछले साल हुए संसदीय चुनाव में कथित धांधली की निष्पक्ष जांच के लिए 30 दिनों के लिए पीएम की कुर्सी छोड़ दें। पीटीआइ के मुख्य वार्ताकार शाह महमूद कुरैशी ने संवाददाताओं से कहा कि निर्दोष साबित होने पर शरीफ फिर पीएम पद पर लौट सकते हैं। सरकार के प्रवक्ता अहसान इकबाल के अनुसार, प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग स्वीकार्य नहीं है। शरीफ ने शनिवार को देश के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात कर गतिरोध समाप्त करने के लिए रास्ता निकालने का प्रयास किया।
पीटीआइ प्रमुख इमरान खान व ताहिर उल-कादरी प्रधानमंत्री शरीफ के इस्तीफे और नए सिरे से चुनाव कराने की मांग पर अड़े हुए हैं। दोनों का आरोप है कि पिछले चुनाव में धांधली के कारण उनकी पार्टियों को कम सीट मिलीं। इमरान व कादरी ने 14 अगस्त को अलग-अलग जगहों से शरीफ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया था। पिछले शनिवार से ये दोनों नेता अपने हजारों समर्थकों के साथ राजधानी इस्लामाबाद में डटे हुए हैं। इस विरोध-प्रदर्शन ने सरकार को पंगु कर दिया है। साथ ही, पाकिस्तान की लोकतांत्रिक स्थिरता पर भी सवाल खड़े किए हैं। प्रदर्शन को खत्म कराने के मकसद से सरकारी अधिकारी शुक्रवार को इमरान की पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों से मिले थे। प्रदर्शनकारी नेताओं ने इससे पहले शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज की ओर से बातचीत का आग्रह ठुकरा दिया था।
इमरान खान की पार्टी के सभी सांसदों के नेशनल असेंबली से इस्तीफा देने के बाद दोनों पक्षों के बीच यह वार्ता हुई। सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल ने कादरी की टीम से भी मुलाकात की, लेकिन पाकिस्तान अवामी तहरीक मूवमेंट के सदस्य बातचीत से नाखुश दिखे।
इस बीच, प्रधानमंत्री शरीफ ने पाकिस्तान पीपल्स पार्टी प्रमुख व पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से अपने आवास पर मुलाकात की। एकमत से यह तय किया गया कि इमरान व कादरी की मांगों के आगे न झुकते हुए शरीफ इस्तीफा नहीं देंगे। जरदारी मंसूरा स्थित जमात-ए-इस्लामी के मुख्यालय भी गए और उसके प्रमुख सिराजुल हक से राजनीतिक गतिरोध समाप्त करने में मदद की अपील की। जरदारी-शरीफ की मुलाकात के बाद वित्त मंत्री इशहाक डार ने कहा कि जरदारी ने संविधान व कानून के तहत गतिरोध समाप्त करने के लिए शरीफ को पूरा सहयोग करने का भरोसा दिलाया है।
जरदारी की शरीफ से मुलाकात के बीच उनकी पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि अगर वर्तमान गतिरोध को समाप्त करने का कोई रास्ता नहीं निकलता तो प्रधानमंत्री को बड़ी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। पीपीपी महासचिव सरदार लतीफ खोसा ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक प्रणाली को बचाने के लिए प्रधानमंत्री को किसी भी हद तक जाना चाहिए। जरूरत पड़ी तो उन्हें बड़ी कुर्बानी भी देनी चाहिए। गतिरोध तोड़ने के लिए इमरान या कादरी की पार्टियों की अपेक्षा सरकार को अधिक लचीला रुख दिखाना चाहिए। उन्होंने शरीफ सरकार से विपक्ष के नेता खुर्शीद शाह के चुनाव में धांधली की जांच कराने का प्रस्ताव मानने को भी कहा। खोसा ने कहा कि यह फार्मूला सरकार व प्रदर्शनकारी दलों दोनों को मान्य होना चाहिए।
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