गोपनीय मतदान में केजरी को अपनों पर ही रखनी होगी नजर
नई दिल्ली ,दिल्ली में भाजपा को सरकार बनाने से रोकने की कोशिश में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई राहत नहीं मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के लिए मुसीबत और बढ़ गई है। अब फिर से उसे अपने विधायकों को बचाए रखने का जतन करते रहना होगा।
आम आदमी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक पार्टी को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि कहीं विधानसभा में गुप्त मतदान के जरिए शक्ति परीक्षण करवाने का फैसला नहीं कर लिया जाए। ऐसे में पार्टी को अपने विधायकों के टूटने का डर सता रहा है। खास बात है कि केजरीवाल हमेशा से सांसदों और विधायकों को पार्टी व्हिप या हाईकमान के फैसले से बांधने की बजाय गुप्त मतदान करवाने का समर्थन करते आए हैं। मगर अब वे इसी बात का खुल कर विरोध कर रहे हैं। इस विकल्प के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसका संविधान में कोई प्रावधान ही नहीं है। इसलिए इसे इजाजत नहीं दी जा सकती। पार्टी सूत्र यह भी मानते हैं कि आप के चार-पांच विधायकों के साथ होने का भाजपा उपाध्यक्ष शेर सिंह डागर का दावा पूरी तरह से आधारहीन नहीं माना जा सकता। पार्टी अपने स्तर पर ऐसे विधायकों की पहचान करने की कोशिश करने में जुटी हुई है। मगर नेतृत्व को भी पता है कि अगर गुप्त मतदान हुआ तो पार्टी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी करने में सक्षम नहीं हो सकेगी। इसलिए किसी भी तरह यह कोशिश की जा रही है कि ऐसी स्थिति ही नहीं आए।
इसी क्रम में पार्टी निर्दलीय विधायकों से भी संपर्क कर रही है। हालांकि, पार्टी को इस बात का एहसास है कि दुबारा चुनाव होने की स्थिति में भी उसके लिए कुछ भी आसान नहीं होगा। मगर यह विकल्प उन्हें बेहतर लग रहा है। लंबे समय से कोई गतिविधि नहीं होने की वजह से कार्यकर्ताओं का उत्साह भी ठंडा हो गया है।
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