ओबीसी में शामिल नहीं किए जा सकते किन्नर: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सभी किन्नरों को अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) में शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि उनमें से कुछ अनुसूचित जाति या जनजाति के परिवारों में जन्म लेते हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को दिए गए अपने फैसले में केंद्र और सभी राज्य सरकारों को किन्नरों को ओबीसी का दर्जा देने का निर्देश दिया था, ताकि उन्हें शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सके।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि गैर एससी/एसटी किन्नरों को ओबीसी में शामिल करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन एससी/एसटी में पैदा हुए किन्नरों को ओबीसी का दर्जा देने पर समस्या हो सकती है। साथ ही किन्नरों की परिभाषा को और स्पष्ट करने का अनुरोध भी किया गया है। केंद्र का मानना है कि समलैंगिकों को किन्नर की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले में कह चुका है कि समलैंगिकों को किन्नर नहीं माना जा सकता।
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