झारखंड में आधे से अधिक नेता नोटा से हारे

रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के तहत सियासी मैदान में उतरे आधे से अधिक नेता ‘नोटा’ से हार गए हैं। पांचों चरणों की 81 सीटों पर चुनाव लड़ रहे 1,136 उम्मीदवारों में पचास फीसद से अधिक उम्मीदवारों (619) को ‘नोटा’ से भी कम वोट मिले।

आंकड़े बताते हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव में 2,35,015 मतदाताओं ने किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं दिया है। यह संख्या कुल मतदाताओं का 1.7 फीसद है। इतने प्रत्याशियों ने इवीएम में नोटा अर्थात राइट टू रिजेक्ट का बटन दबाकर किसी को वोट नहीं दिया। यह फीसद कई पार्टियों को मिले वोट प्रतिशत से कहीं अधिक है। इनमें सीपीआइएमएल, सीपीआइ, जेकेपी, जदयू, एमसीयू, जेकेपी, सपा, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, जय भारत समानता पार्टी, एनएसएएम प्रमुख हैं। इस तरह नोटा ने इन पार्टियों को पीछे छोड़ दिया है। सबसे अधिक 7,724 मतदाताओं ने राइट टू रिजेक्ट का प्रयोग उस विधानसभा क्षेत्र चतरा में किया, जहां सबसे कम सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। सबसे कम पांकी में नोटा को 662 वोट ही मिले। कई ऐसी सीटें हैं, जहां तीन या चार प्रत्याशियों को ही नोट से अधिक मत मिले। हटिया सीट पर 29 में 22 उम्मीदवारों को नोटा ने पछाड़ा। इसी तरह हजारीबाग में 21 उम्मीदवारों में 15 को नोटा से कम वोट मिले। सिल्ली में आठ प्रत्याशियों को नोटा से कम वोट मिले। मात्र तीन ही प्रत्याशियों को नोटा से अधिक वोट मिले।

इसी तरह, धनबाद तथा जामताड़ा में विजेता, उपविजेता के बाद मात्र एक ही प्रत्याशी हैं, जिन्हें इससे अधिक वोट मिले हैं। गिरिडीह, चंदनक्यारी, टुंडी, शिकारीपाड़ा, सारठ, पोड़ेयाहाट तथा गोड्डा में चार-चार प्रत्याशियों को ही इससे अधिक मत प्राप्त हुआ है। कई ऐसी सीटें हैं जहां नोटा ने दस या इससे अधिक प्रत्याशियों को पछाड़ा है। हटिया में बाइस तथा डालटनगंज में 18 प्रत्याशी इससे पीछे रहे।

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