जम्मू-कश्मीर में गठजोड़ के आड़े आ रही मजबूरियां
श्रीनगर, चुनाव परिणाम आए तीन दिन बीत चुके हैं। तीनों प्रमुख दल आपस में गठजोड़ करने को भी तैयार हैं, लेकिन राज्य की सियासत की स्थानीय मजबूरियां फिलहाल उन्हें रोके हुए हैं। लोगों को जवाब देने के लिए कोई मजबूत तर्क और बीच का रास्ता न मिलने के कारण गठबंधन को लेकर वह कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाए हैं।
87 सीटों वाली राज्य विधानसभा में किसी भी दल को को स्पष्टï बहुमत नहीं मिला है। पीडीपी 28, भाजपा 25, नेकां 15 और कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं। शेष सात विधायकों में दो निर्दलीय हैं, जबकि पांच अन्य तीन छोटे दलों से संबंध रखते हैं।
सरकार बनाने के लिए सबसे आसान विकल्पों में पीडीपी और भाजपा या फिर भाजपा और नेकां के गठजोड़ की सरकार बनती हैं। तीनों में से कोई भी आसानी से सत्ता से बाहर रहने को तैयार नहीं है।
हालांकि, भाजपा ने पहली बार गठबंधन को लेकर अपने रवैये में कुछ लचीलेपन का संकेत देते हुए कहा कि विकास, राष्ट्रीय एकता अखंडता और क्षेत्रीय संतुलन ही उसके लिए मुख्य आधार है। लेकिन वह जम्मू संभाग में जहां उसने 25 सीटें जीती हैं, वहां वह लोगों को अघोषित रूप से हिंदू मुख्यमंत्री का सपना दिखाती रही है। इसके अलावा उसने चुनाव के दौरान लोगों को पीडीपी, नेकां से मुक्ति पाने को कहा। जिनसे मुक्ति की बात की है, उन्हें गले लगाकर जनता के बीच जाना उसके लिए आसान नहीं है।
नेशनल कांफ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम न छापे जाने पर कहा कि भाजपा के साथ गठजोड़ कोई बुरा नहीं है। इसके साथ यह भी याद रखा जाना चाहिए जम्मू-कश्मीर पूरे देश में एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य है, जहां हिंदू मुख्यमंत्री की बात पर हमें दुष्परिणाम झेलने पड़ेंगे। इसका लाभ वह लोग भी उठा सकते हैं जो हमारे मुखालिफ हैं। इसलिए हमारे कई लोग चाहते हैं कि फिलहाल विपक्ष में ही बैठा जाए और पीडीपी को भाजपा या किसी अन्य दल के साथ सरकार बनाने का मौका दिया जाए।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता अल्ताफ बुखारी ने कहा कि हमारा सबसे बड़ा दल है। हमारे 28 विधायक हैं। लोगों ने बदलाव के लिए, नेकां के खिलाफ वोट दिया है। भाजपा ने भी यहां बदलाव के लिए, विकास के लिए ही वोट मांगा है। भाजपा से हमारा गठजोड़ हो सकता है, क्योंकि वह केंद्र में भी सत्तासीन है। लेकिन हम कश्मीरियों की भावनाओं को दरकिनार कर किसी के समक्ष सरेंडर नहीं कर सकते। भाजपा को कुछ नीतिगत मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। इसके अलावा हमारा जो क्षेत्रीय एजेंडा है, उसे पूरा करने के लिए भी उसे रास्ता छोडऩा होगा।
भाजपा के उपाध्यक्ष रमेश अरोड़ा ने हालांकि पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि गठबंधन के लिए नेकां को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन पार्टी के विधायकों का एक वर्ग पीडीपी के साथ जाने पर जोर दे रहा है।
भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुश्किल नेकां की स्वायत्तता और पीडीपी का सेल्फ रूल है। इसके साथ ही गठबंधन सरकार में भाजपा की मुख्यमंत्री पहले होगा या बाद में। उसके लिए मुस्लिम चेहरा तैयार करना भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि हिंदू चेहरे पर गठबंधन की बात अटक रही है।
श्रीनगर पहुंचे राममाधव ने लोन व बेग से की मुलाकात
जम्मू, राज्य में सरकार बनाने की संभावनाएं तलाश रही भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव बृहस्पतिवार को श्रीनगर पहुंचे और उन्होंने पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन व पीडीपी के वरिष्ठ नेता मुजफ्फर हुसैन बेग से मुलाकात की। राममाधव ने श्रीनगर के एक होटल में सज्जाद लोन के साथ करीब एक घंटे तक बैठक की। पार्टी सूत्रों के अनुसार राम माधव ने बाद में मुजफ्फर हुसैन बेग के साथ उनके निवास पर जाकर विचार-विमर्श किया, हालांकि आधिकारिक तौर पर इस बैठक की पुष्टि नहीं हुई है।
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