सुब्रत राय को फिर से मिली वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को अपनी संपत्ति बेचने को फिर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की इजाजत दे दी है। सुब्रत राय को जमानत के लिए दस हजार करोड़ रुपये की राशि जुटानी है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि सहारा समूह विदेशों में स्थित अपने होटलों को गिरवी रखने से पहले रिजर्व बैंक की आवश्यक स्वीकृति लेनी होगी।
सहारा के अमेरिका, लंदन स्थित होटलों पर बैंक ऑफ चाइना का कर्ज है। अदालत ने समूह को इस कर्ज को किसी दूसरे बैंक को टेकओवर कराने की इजाजत दे दी है। इससे सहारा को इन संपत्तियों के जरिये जमानत के लिए जरूरी अतिरिक्त नकदी जुटाने में मदद मिलेगी। अदालत ने सहारा को जूनियर लोन देने की इजाजत भी दे दी है।
सुब्रत राय पिछले नौ महीने से तिहाड़ जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत के लिए समूह को दस हजार करोड़ रुपये की राशि जमा कराने को कहा था। इसके लिए सहारा समूह अपनी विदेश स्थित संपत्तियों की बिक्री के भी प्रयास कर चुका है।
सहारा की दलीलः
सहारा का कहना है कि अब तक पूंजी बाजार नियामक सेबी के पास 11,500 करोड़ रुपये की राशि जमा हो चुकी है। कोई भी बैंक सौ फीसद कैश मार्जिन के बिना समूह को बैंक गारंटी देने को तैयार नहीं है। इसमें सहारा द्वारा जमा की गई राशि पर ब्याज भी शामिल है। पिछले 26 महीने में सेबी ने निवेशकों को अब तक केवल दो करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
सहारा के मुताबिक, सेबी दो बार समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर निवेशकों को अपनी जमा राशि वापस लेने लिए आमंत्रित कर चुका है। अब तक नियामक के पास केवल 20 करोड़ रुपये की मांग ही आई है। सेबी अब तक निवेशकों के सत्यापन का काम भी पूरा नहीं कर पाया है। क्या इससे यह बात साबित नहीं होती कि सहारा समूह अधिकांश निवेशकों की राशि लौटा चुका है?

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