साईं पूजा सनातन धर्म के खिलाफ साजिश : स्वरूपानंद

इलाहाबाद,   त्रिवेणी तट पर रविवार को आयोजित ‘सनातन धर्म संसद’ में कर्वधा की तर्ज पर संतों ने साईं बाबा की पूजा का मुखर विरोध किया। इसमें गंगा को बांध मुक्त करने, संस्कृत विद्यालयों में खाली शिक्षकों के पद भरने, गाय की रक्षा सहित श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण जैसे मुद्दों पर चर्चा कर प्रस्ताव पारित किया गया।

अध्यक्षता कर रहे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा इस्लाम मुहम्मद साहब व ईसाई धर्म यीशु ने शुरू किया। दोनों के वंशज न मुसलमान थे न ईसाई। जबकि सनातन धर्म सबसे प्राचीन है, इसलिए इसकी किसी से तुलना हो ही नहीं सकती। हमारे यहां बच्चे के जन्म से वह हिन्दू होता है। साईं पूजा का विरोध करते हुए कहा कि यह सनातन धर्म के खिलाफ गहरी साजिश है। धर्मांतरण को विदेश से पैसा आ रहा है, सरकार को उसे जब्त करना चाहिए। हिन्दुओं की संख्या बढ़ाने को लेकर अधिक बच्चे पैदा करने के बयान का विरोध करते हुए कहा कि यह समस्या का समाधान नहीं है। बल्कि हिन्दू व मुसलमानों को समान रूप से बच्चा पैदा करने का अधिकार होना चाहिए।

शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने वेदों के विलुप्त होने व गौहत्या पर चिंता व्यक्त की। कहा कि इसके खिलाफ सनातन धर्म के अनुयायियों को मुखर होना होगा। अग्नि अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्र्वर रामकृष्णानंद ने कहा कि राजनीतिक दल स्वहित में नए शंकराचार्य बना रहे हैं जो धर्म के खिलाफ है। संयोजन निरंजनी अखाड़ा के महंत नरेंद्र गिरि व संचालन स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने किया।

ये प्रस्ताव हुए पारित

1-गंगा को बांध मुक्त किया जाए।

2-देश में गौहत्या पर पाबंदी लगे।

3-¨हदू धर्म का साईकरण बंद हो।

4-पीके जैसी फिल्म पर पाबंदी लगे।

5-विद्यालयों में रामायण, महाभारत, गीता की पढ़ाई शुरू कराई जाए।

6-संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों के खाली पद भरे जाएं।

7-रामालय न्यास द्वारा श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण किया जाए।

8-सरकारी योजनाओं का नाम राष्ट्रभाषा ¨हदी में रखा जाए।

9-सनातन धर्म संसद को स्थायी रूप दिया जाए।

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