संत तय करें गंगा में शव प्रवाह हो या नहीं : उमा भारती
इलाहाबाद, केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने कहा कि केंद्र सरकार गंगा किनारे कर्मकांड को रोककर हिंदुओं की भावना को छेड़ना नहीं चाहती है। इसीलिए गंगा को पावन बनाने के नाम पर शव प्रवाह, पुष्प एवं अन्य पूजन सामग्री प्रवाहित करने के सवाल को वह हल नहीं करना चाहती, बल्कि यह जिम्मेदारी हिंदू समाज के अगुवा संतों एवं तीर्थ पुरोहितों को दी है। वही तय करेंगे कि आखिर गंगा में शव या पुष्पों का प्रवाह हो या नहीं।
रविवार को संगम किनारे उन्होंने कहा कि गंगा तट पर कौन-कौन से पेड़ लगाए जाए यह भी अब संत ही तय करेंगे। वह बताएंगे कि मूर्तियों का विसर्जन गंगा जल में किया जाए या नहीं। वैसे सरकार गंगा किनारे विसर्जन से पहले ऐसे गड्ढे खोदवा देगी, जिसमें लोग आसानी से विसर्जन कर सकेंगे और उनकी आस्था भी प्रवाहित नहीं होगी। केंद्रीय मंत्री ने लोगों को यह कहते हुए झकझोरा कि देश की गुलामी और गंगा पर चिंतन करें तो एक बात सामने दिखती है कि हममें इच्छाशक्ति की कमी है। उन्होंने इस बात को विस्तार देते हुए कहा कि देश में मुगलों व ब्रिटिशों की गुलामी के कालखंड में देश में जनसंख्या खूब थी, राजा और सेना भी बलशाली थी, लेकिन फिर भी गुलाम रहे। भारत माता को आजादी दिलाने एवं गंगा माता को स्वच्छ करने में हम पूरे मन से नहीं जुटे, वरना इस देश के ढाई सौ करोड़ हाथों में वह ताकत है कि गंगा पावन हो जाएंगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा को पवित्र करने का कार्य जटिल जरूर है, लेकिन असंभव कतई नहीं है, क्योंकि यह इच्छा सरकार की तब बनी जब पूरे देश ने गंगा को साफ करना चाहा। संतों ने ही नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया है। पीएम ने गंगा मंत्रालय बनाकर मुझे जिम्मेदारी दी है। अब एकजुट होकर गंगा को साफ करेंगे। इसके लिए जनांदोलन की जरूरत है, क्योंकि कोई भी विकास बिना जनांदोलन के संभव नहीं है।
रिवर फ्रंट कुंभ में न डाले अड़चन
उमा भारती ने संगम किनारे बन रहे रिवर फ्रंट पर कहा कि यह योजना राज्य सरकार की है, इसमें संतों का मार्गदर्शन लेना चाहिए। जो पक्के निर्माण होंगे वह बाकी दिनों के लिए तो ठीक है, लेकिन ऐसा न हो कि कुंभ आदि के मौके पर वह निर्माण अड़चन बन जाए। यह निर्माण भगदड़ मचने का कारण हो सकते हैं। वैसे उन्होंने इसका प्रजेंटेशन देखा नहीं है।
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