दिल्ली में कांग्रेस की नैया खेने से राहुल ने किया किनारा

नई दिल्ली, दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की डूबती नाव को पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी का सहारा भी नहीं मिल रहा है। प्रदेश कांग्रेस ने राहुल से पांच सभाओं की मांग की थी, लेकिन मंजूरी महज दो की मिली। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी भी महज एक रैली करेंगी। यह हाल तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकेले आधा दर्जन रैलियां कर सकते हैं। ऐसे में भाजपा और आम आदमी पार्टी के आक्रामक प्रचार की काट खोजना कांग्रेस के लिए मुश्किल हो गया है।

राज्य में पार्टी का चेहरा बने कांग्रेस संचार प्रमुख अजय माकन की राहुल से नजदीकियों के बावजूद प्रदेश कांग्रेस को नेतृत्व से सहयोग नहीं मिल पा रहा। इस बीच, कांग्रेस के चुनावी अभियान में सुस्ती को लेकर पार्टी मुख्यालय में बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक बैठक में राज्य में फंड की कमी को लेकर चर्चा हुई। पार्टी कोषाध्यक्ष मोती लाल बोरा, कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल और दिल्ली से राज्यसभा सदस्य जर्नादन द्विवेदी ने बैठक में प्रदेश कांग्रेस की मांगों पर विचार किया। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस ने चुनाव से पहले प्रदेश पार्टी इकाई का खजाना खाली होने की बात कही है। दिल्ली कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में बने रहने के लिए केंद्रीय इकाई को संसाधनों की लंबी लिस्ट सौंपी है।

नहीं बन पा रहा तालमेल

ज्यादा जोगी मठ उजाड़ की तर्ज पर कांग्रेस में नेताओं की बहुतायत चुनाव संचालन में बाधा बन रही है। प्रदेश अध्यक्ष की नाराजगी और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के असहयोग के कारण प्रचार अभियान शुरू होना दूर पार्टी चुनाव अभियान समिति तक की घोषणा नहीं कर सकी है। माकन को हालांकि इस समिति के अध्यक्ष पद पर हफ्ते पर पहले ही बैठा दिया गया था।

केंद्रीय कार्यालय तक सिमटा प्रचार

कांग्रेस का अभियान पार्टी के केंद्रीय मुख्यालय तक सिमट गया है। मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रही कांग्रेस प्रेस वार्ताओं के जरिये भाजपा की आड़ में आप और आप के सहारे भाजपा पर हमलावर होने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने ‘यू टर्न’ को लेकर भाजपा व आप दोनों पर किताबी हमले किए हैं। दोनों पार्टियों पर अपने वादों से हटने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने उन्हीं आरोपों को दोहराया है, जो ये पार्टियां पहले ही एक-दूसरे पर लगाती रही हैं। नए मुद्दों के अभाव में पार्टी का आक्रमण धारहीन दिख रहा है।

पूर्वाचलियों पर निगाह

राजधानी में पूर्वाचल के वोटरों की बड़ी संख्या देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें लेकर अलग रणनीति बनाई है। प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने इस संबंध में बिहार कांग्रेस के नेताओं से चर्चा की है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व राज्यपाल व दिल्ली पुलिस आयुक्त रहे निखिल कुमार के नेतृत्व में पूर्वाचल के वोटरों को साधने के लिए आठ सदस्यों की समिति बनाई गई है। इसके अलावा सुबोध कांत सहाय को भी राज्य में पूर्वाचल के वोट समेटने की जिम्मेदारी दी गई है।

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