मनमोहन ने हिंडाल्को का पक्ष लेने से किया इन्कार
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीबीआइ को बताया कि कोल ब्लॉक आवंटन में हिंडाल्को का किसी भी तरह का पक्ष नहीं लिया गया था। तालाबीरा-2 कोल ब्लॉक में सबकुछ निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही किया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री का यह बयान सीबीआइ द्वारा कोर्ट में दाखिल प्रोग्रेस रिपोर्ट का एक हिस्सा है। जांच एजेंसी ने उनसे उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला द्वारा लिखे गए पत्रों के आलोक में सवाल किए थे, जिसमें बिड़ला ने तालाबीरा-2 कोल ब्लॉक के हिंडाल्को को आवंटित किए जाने का अनुरोध किया था। बिड़ला ने सात मई 2005 व 17 जून 2005 को ये पत्र लिखे थे।
कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में सीबीआइ ने मंगलवार को पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष जज भरत पाराशर की अदालत में सील बंद लिफाफे में प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश की। सीबीआइ ने यह रिपोर्ट पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख व उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला व अन्य के खिलाफ दर्ज मामले में दायर की है। अदालत में जांच एजेंसी ने बताया कि वह मामले से जुड़े कुछ लोगों के बयान दर्ज कर कोर्ट में पेश करेगी।
अनुरोध है कि जांच-पड़ताल पूरी होने तक रिपोर्ट की सील न खोली जाए। सरकारी वकील वीके शर्मा ने अदालत से आगे की जांच कर रिपोर्ट तैयार करने के लिए दो हफ्ते का समय मांगा। कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट, संबंधित लोगों के बयान समेत अन्य दस्तावेज 19 फरवरी तक पेश करें।
गौरतलब है कि 19 दिसंबर, 2014 को कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआइ ने मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनके मुख्य सचिव टीकेए नायर, निजी सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम, उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला समेत अन्य लोगों से पूछताछ की थी। सीबीआइ ने कुमार मंगलम बिड़ला व पूर्व कोल सचिव पीसी पारेख के खिलाफ अक्टूबर 2013 में मामला दर्ज किया था।
आरोप था कि पारेख ने हिंडाल्को को कोल ब्लॉक आवंटित न करने के अपने निर्णय को एक महीने में ही बदल दिया था, लेकिन उन्होंने इसका कोई कारण नहीं बताया था। यह आवंटन तालाबीरा-दो और तीन के कोल ब्लॉक से संबंधित है, जो 2005 में आवंटित हुए थे। हिंडाल्को के अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था।
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