एस. जयशंकर नए विदेश सचिव, विदेश नीति में बदलाव के संकेत

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने विदेश नीति को टॉप गीयर में डाल दिया है। दशकों पुरानी चली आ रही गुटनिरपेक्षता की नीति से आगे बढक़र सरकार ने विश्व पटल पर बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी का संकेत दे दिया है।
इसी क्रम में ओबामा के यहां से जाते ही सरकार ने अमेरिका में भारत के राजदूत एस. जयशंकर को नया विदेश सचिव नियुक्त कर दिया है। बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया।
वर्तमान विदेश सचिव सुजाता सिंह के कार्यकाल में कटौती के साथ ही सरकार ने तत्काल प्रभाव से जयशंकर को इस पद पर नियुक्त कर भारतीय कूटनीति में अहम बदलाव का संकेत दे दिया है। वैसे सुजाता सिंह को इसके बदले कोई और अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। प्रशासनिक हलकों में उन्हें केंद्रीय सूचना आयुक्त बनाए जाने की चर्चा है।
नाभिकीय कूटनीति के विशेषज्ञ हैं जयशंकर:
नई दिल्ली में जन्मे 60 वर्षीय जयशंकर देश के तेजतर्रार कूटनीतिज्ञों में गिने जाते हैं। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से नाभिकीय कूटनीति में विशेषज्ञता के साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति का अध्ययन किया है। इससे पहले 2013 में भी विदेश सचिव के लिए उनका नाम काफी आगे चल रहा था, लेकिन आखिर में तत्कालीन मनमोहन सरकार ने सुजाता सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी।
माना जा रहा है कि मोदी की सफल अमेरिका यात्रा व ओबामा को गणतंत्र दिवस के अतिथि के तौर पर भारत लाने के पीछे जयशंकर की अहम भूमिका थी। असैन्य परमाणु समझौते को लेकर भारत का जो दल अमेरिका से बात कर रहा था, जयशंकर उसके भी सदस्य थे। माना जा रहा है कि उनकी इन उपलब्धियों से प्रभावित होकर मोदी सरकार ने उन्हें नया विदेश सचिव बनाने का फैसला लिया।
जयशंकर के पिता के. सुब्रह्मण्यम देश के जानेमाने सामरिक विश्लेषक व नौकरशाह थे। अमेरिका में राजदूत बनाए जाने से पहले जयशंकर चीन, सिंगापुर और चेक गणराज्य में भारत के राजदूत रह चुके हैं।

 

 

 

 

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