बरैंपटन शहर के लिए एडिटर द्वारा रिपोर्ट पेश
* आने वाला समय बरैंपटन के लिए बहुत अच्छा नहीं
बरैंपटन की नई बनी मेयर लिंडा जाफरी द्वारा पद संभालने के समय यह कहा गया था कि शहर की वित्तीय स्थिति की जांच के लिए एडिटर की सेवाएं ली जाएंगी, जिससे वह पता लगा सकें कि शहर के वित्तीय हालत क्या हैं। एक महीना पहले कौंसिल ने इसे मंजूरी दी थी तथा राज्य के पूर्व एडिटर जिम मकारटर की सेवाएं ली गईं थीं। बीते मंगलवार मकारटर ने अपनी रिपोर्ट कौंसिल को पेश की। 23 पन्नों की इस रिपोर्ट में मकारटर ने बरैंपटन शहर के वित्तीय हालत पर गहराई से जांच करके कई अहम टिप्पणियां की हैं। उसने कहा कि अब तकनीकी रूप से बरैंपटन को कर्जा मुक्त शहर नहीं कहा जा सकता। आने वाला समय बरैंपटन के लिए बड़ा कड़ा होगा। बरैंपटन की लिकुईडिटी पोजीशन चाहे बढिया है, थोड़े समय के लिए शहर की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए शहर के पास वित्तीय साधन चाहे हैं, पर लंबे समय की प्लानिंग के लिए शहर के वित्तीय हालत बहुत अच्छे नहीं है। मकारटर ने बरैंपटन के लिए मुश्किल दिनों की चेतावनी दी है। एडिटर मकारटर ने कहा कि मुश्किल समय में अधिक फंडों की आवश्यकता तथा शहर के लिए अधिक सामान जुटाने के लिए फंड बारे स्थिति पिछले 10 सालों में बहुत बुरी हुई है। इसलिए आने वाले समय में शहर के विकास संबंधी फैसलों के लिए कौंसिल को बहुत सारे मुद्दों को ध्यान में रखना पड़ेगा। रिपोर्ट में शहर में विवादित साऊथवैस्ट क्वाडरैंट प्राजैक्ट जिस तहत सिटी हॉल का नया निर्माण भी किया गया है, की ओर ध्यान देने की बात कही है, जिसमें सिटी हॉल की नई इमारत को अगले 25 साल के लीज टू ऑन के तहत लिबरड को हर साल 8.2 मिलियन अदा करने पड़ेंगे, जो शहर के सिर बड़ा कर्ज है तथा यह आवश्यकता से अधिक है। साल 2011 में सूजन फैनल के जोर पर यह डील डोमिनस कंस्ट्रक्शन से की गई, जिसके लिए बरैंपटन वासी 111 मिलियन फाइनैंशियल कोस्ट के रूप में भर रहे हैं। इसके ऊपर 94 मिलियन कंस्ट्रक्शन कोस्ट भर रहे हैं। इस सिटी हॉल एक्सपैंशन के तीनों फेजों में पहले फेज के खर्चे हैं। यह पैसा 7.2 प्रतिशत ब्याज दर पर लिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिटी यह कर्जा 4.8 प्रतिशत पर आराम से ले सकती है, जिन कौंसिलरों ने इस डील के विरोध में वोट डाली थी, उन्होंने बताया कि यह कर्जा तो 3.5 प्रतिशत पर मिल जाना था। इस समय शहर पर 215 मिलियन का कर्जा है, जो इस स्तर की म्यूनिसिपैलिटीयों में सबसे अधिक है। यह कर्जा शहर के खजाने में पड़े अधिक फंडों को पूरा नुक्सान पहुंचा चुका है। इसकी पुष्टि सीनियर सिटी स्टॉफ द्वारा भी की गई है। रिपोर्ट में दूसरा बड़ा खुलासा सिटी स्टाफ के वेतनों के बारे में किया गया है, जिसमें बताया गया है कि जितना पैसा शहर के टैक्स से एकत्रित होता है, उससे अधिक सिटी स्टॉफ की आकाश छूती वेतनों में चला जाता है। चाहे एक दशक पहले से अब तक शहर प्रापर्टी टैक्स में 120 प्रतिशत फंड एकत्रित करता है, पर पैसा जाता कहां है, यह अधिक पैसे का 90 प्रतिशत सिर्फ स्टॉफ के वेतनों में ही चला जाता है। मकारटर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्टाफ के लगातार बढ़ रहे वेतनों का एक बड़ा कारण है कि शहर की बढ़ रही आबादी की आवश्यकताओं से लोगों की जरूरतें का शहर संतुलन नहीं बना पा रहा। इसे सुन कर मेयर लिंडा जाफरी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाईयों को देखते हुए ही मैंने कहा था कि बाहरी एडिटर की आवश्यकता है, जो यह जांच कर सके सिटी का सिटी का पैसा जाता कहां है। बहुत पैसा तो वेतन में चला जाता है तथा बरैंपटन वासी अपनी आवश्कत जरूरतों के लिए परेशानियों से जूझ रहे हैं।
बरैंपटन की पूर्व मेयर सूजन फैनल के पिछले चार साल के कार्यकाल में शहर की आर्थिकता में पड़ी खराबी संबंधी एडिटर की रिपोर्ट में हैरानीजनक खुलासे किए गए हंै। जिनमें शहर के पुराने हो रहे इन्फ्रास्ट्रक्चर को रैनोवेट के लिए लाखों डॉलर की आवश्यकता है, जो सिटी के पास नहीं है। जी.टी.ए. की अन्य म्यूनिसिपैटियां अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक करने में बरैंपटन से कहीं अधिक तेजी से कार्य कर रहे हैं। बरैंपटन का डिवैल्पमैंट चार्ज रिजर्व अकाऊंट फीस जो बिल्डर ने अदा करनी होती है, उसका घाटा पिछले एक साल में 225 से बढ़ कर 325 हो गया है। जो जी.टी.ए. की किसी अन्य म्यूनिसिपैलिटी में देखने को नहीं मिलता। रिपोर्ट में 766 मिलियन डॉलर का भी जिक्र किया गया है, जो 7 सालों में मंजूर हुए प्राजैक्टों पर लगना था, पर स्टाफ की नालायकी देखो उन्हें इन प्राजैक्टों का पता ही नहीं लगा, चाहे ट्रैक करना ही भूल गए। जिन प्रोजैक्टों के लिए बरैंपटन वासी पैसे भर रहे हैं या तो वह देरी से हैं या भी अभी शुरू ही नहीं किए गए तथा जब यह पूरे होंगे उस समय इनकी लागत क्या होगी यह अभी तक साफ नहीं है। कौंसिलरों ने यह भी साफ किया कि उन पूर्व सिटी मैनेजर डैबरा डबैंनसकी को कई बार इनके बारे में कहा, पर उसने कभी भी सीधा जवाब नहीं दिया था। बहुत कुछ पिछले चार साल में हुआ यह भी रिपोर्ट में कहा गया है।
साल 2011 में सी.डी. हुई रिपोर्ट में म्यूनिसिपल बजट के बारे एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बरैंपटन को सबसे नीचे दिखाया गया था, जिसका डिबैंसकी की अगवाई में पूर्व कोषाध्याक्ष मो लुईस व फैनल का लंबा समय चेयरमैन रही कौंसिलर गेल माईकल द्वारा इस रिपोर्ट का विरोध किया गया था। पर 2014 में इसे संस्था द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में भी बरैंपटन को नीचे ही दिखाया गया था। इतना कुछ होने के बाजवूद भी उस समय की मेयर सूजन फैनल शहर के कर्जा मुक्त व थ्री ए रेटिंग का ही शोर मचाती रहीं। यह रिपोर्ट उस समय आई जब कुछ दिन पहले सिटी द्वारा सी.ए.ओ. जॉन कोरबैट के जाने की पुष्टि की कौरबैट डिबैंसकी की जगह पर साल 2012 में आया था। अभी अंतरिम एडिटर जनरल जोर्ज रसट की रिपोर्ट इस महीने के अंत तक आनी है, जो डाऊन टाऊन डिवैल्पमैंट के ठेके में हुई हेरफेर की जांच कर रहा है। यह दोष है कि यह ठेके देने के समय सिटी स्टाफ द्वारा पक्षपाती रवैया अपना गया। ओ.पी.पी. द्वारा भी सूजन फैनल द्वारा किए खर्चों की जांच कर रही है।
मेयर लिंडा जाफरी ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि कुछ नकारात्मक होने के बाद अब जरूर कुछ तबदीली आएगी, पर आने वाले समय में हमें कुछ कड़े फैसलने लेने होंगे। मैं लोगों से अपील करती हूं कि वह भी अपनी राय हमारे तक जरूर पहुंचाएं।
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